नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनावों में 100% VVPAT(वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों की मैनुअल गिनती की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता हंसराज जैन की मांग थी कि ईवीएम के साथ-साथ सभी वीवीपैट पर्चियों की भी 100% मैनुअल गिनती होनी चाहिए। साथ ही वोटर को पर्ची की जांच का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पहले ही इस मुद्दे पर फैसला दिया जा चुका है, ऐसे में दोबारा सुनवाई की जरूरत नहीं है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई की। इस फैसले में हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी थी। उस दौरान चुनाव आयोग ने भी हाईकोर्ट में बताया था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ईवीएम को सुरक्षित और पारदर्शी बता चुका है। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की बेंच ने की।
सुप्रीम कोर्ट ने EVM जांच के लिए क्या शर्त लगाई थी?
- दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी कैंडिडेट को शक है तो वह रिजल्ट घोषित होने के 7 दिन के भीतर शिकायत कर सकता है।
- शिकायत के बाद EVM बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे।
- किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की टोटल EVM’s में से 5% मशीनों की जांच हो सकेगी। इन 5% EVM’s को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा।
- इस जांच का खर्च कैंडिडेट को ही उठाना होगा। चुनाव आयोग ने बताया- जांच की समय सीमा और खर्च को लेकर जल्द ही जानकारी शेयर की जाएगी।
- जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि EVM से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करने वाले कैंडिडेट को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा।