नई दिल्ली,7 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वाराणसी में आयोजित एक शाखा में कहा कि संघ की शाखाओं में उन सभी भारतीयों का स्वागत है जो स्वयं को औरंगजेब का वंशज नहीं मानते। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ में जाति, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता, बशर्ते व्यक्ति भारत माता की जय बोले और भगवा ध्वज के प्रति सम्मान प्रकट करे। भागवत ने यह भी कहा कि भारतीयों की पूजा पद्धति भले ही अलग हो, लेकिन संस्कृति एक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संघ का कार्य समाज में एकता स्थापित करना है और इसके लिए सभी पंथ, संप्रदाय और जाति के लोगों को साथ लाना आवश्यक है।
इससे पहले, मोहन भागवत ने काशी विद्वत परिषद के सदस्यों के साथ बैठक में भारत को विश्व गुरु बनाने के लक्ष्य पर चर्चा की और सभी लोगों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने का आह्वान किया।
भागवत के इन बयानों से स्पष्ट होता है कि संघ सभी भारतीयों को एकजुट करने की दिशा में कार्यरत है, जिसमें पूजा पद्धति की विविधता को स्वीकार करते हुए सांस्कृतिक एकता पर बल दिया जाता है।