इंदिरा ने समझौते में सौंपा, क्या मोदी वापस लाएंगे कच्चाथीवू

Date:

नई दिल्ली,5 अप्रैल। अगस्त 2023। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार ने 1974 में ‘भारत माता का एक हिस्सा’ श्रीलंका को दे दिया। वे रामेश्वरम के नजदीक एक द्वीप कच्चाथीवू का जिक्र कर रहे थे।

इससे पहले साल 2015 केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय कानून और कूटनीति से जुड़ा है। कच्चाथीवू को वापस लेने के लिए ‘अब जंग लड़नी पड़ेगी’ क्योंकि श्रीलंका इसे खुद कभी नहीं छोड़ेगा।

PM मोदी कल यानी शुक्रवार रात श्रीलंका दौरे पर पहुंचे हैं। इससे पहले बुधवार (2 मार्च) को तमिलनाडु विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि केंद्र सरकार श्रीलंका से कच्चाथीवू द्वीप वापस ले। इस प्रस्ताव को भाजपा ने भी समर्थन दिया है।

भारत के तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच काफी बड़ा समुद्री क्षेत्र है। इस समुद्री क्षेत्र को पाक स्ट्रेट कहा जाता है। यहां कई सारे द्वीप हैं, जिसमें से एक द्वीप का नाम कच्चाथीवू है।

श्रीलंका के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक कच्चाथीवू 285 एकड़ में फैला एक द्वीप है। ये द्वीप बंगाल की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ता है।

ये द्वीप 14वीं शताब्दी में एक ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बना था। जो रामेश्वरम से करीब 19 किलोमीटर और श्रीलंका के जाफना जिले से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर है। रॉबर्ट पाक 1755 से 1763 तक मद्रास प्रांत के अंग्रेज गवर्नर हुआ करते थे। इस समुद्री क्षेत्र का नाम रॉबर्ट पाक के नाम पर ही पाक स्ट्रेट रखा गया।

दोनों देशों के मछुआरे जाल सुखाते थे, फिर क्यों छिड़ा विवाद?

17वीं सदी में रघुनाथ देव किलावन ने खुद को रामनाद साम्राज्य का राजा घोषित कर दिया। इसके बाद कच्चाथीवू द्वीप पर उनका राज हो गया था। समुद्र के बीचों-बीच स्थित इस वीरान द्वीप पर भारत और श्रीलंका दोनों देशों के मछुआरे आते थे और जाल सुखाने के लिए इसका इस्तेमाल किया करते थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति पर भी सुप्रीम कोर्ट सख्त

नई दिल्ली,12 अप्रैल। अपनी तरह के पहले फैसले में...