उत्तर प्रदेश/प्रयागराज ,1 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में 2021 में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य व्यक्तियों के घरों को ध्वस्त करने की कार्रवाई को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) को निर्देश दिया है कि वे प्रत्येक पीड़ित को छह सप्ताह के भीतर 10 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करें।
असंवैधानिक कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार की मनमानी कार्रवाई नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त आश्रय के अधिकार का हनन है। पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के घरों को ध्वस्त करना असंवेदनशीलता को दर्शाता है और यह हमारी अंतरात्मा को झकझोर देता है।
मामले की पृष्ठभूमि
मार्च 2021 में, प्रयागराज के लूकरगंज क्षेत्र में वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और तीन अन्य व्यक्तियों के घरों को ध्वस्त कर दिया गया था। इन घरों को गिराने से एक रात पहले ही नोटिस चस्पा किया गया था, और अगले दिन बिना उचित सुनवाई के कार्रवाई की गई। पीड़ितों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पीडीए को आदेश दिया है कि वे छह सप्ताह के भीतर प्रत्येक पीड़ित को 10 लाख रुपये का मुआवजा दें। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसी किसी भी कार्रवाई से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए, ताकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।