सरोद वादक तेजेंद्र नारायण मजूमदार और कर्नाटक संगीत गायक संजय सुब्रह्मण्यन ने संगीत संध्या में श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध किया

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नई दिल्ली, 30 मार्च, 2025 ।

एनडीएमसी के “म्यूजिक इन द पार्क” श्रृंखला के अंतर्गत चल रहे तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह में आज प्रसिद्ध कलाकार सरोद वादक तेजेंद्र नारायण मजूमदार ने ईशान घोष (तबला वादक) के साथ और उसके बाद संजय सुब्रह्मण्यन (कर्नाटक गायन) ने एस वरदराजन (वायलिन वादक) और नेवेली बी वेंकटेश (मृदंगम वादक ) के साथ अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को संगीत सन्ध्या में मन्त्रमुग्ध कर दिया।

नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने स्पिक मैके और एसआरएफ फाउंडेशन के सहयोग से शनिवार से सोमवार ( 29 से 31 मार्च ) तक नेहरू पार्क, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में “म्यूजिक इन द पार्क” श्रृंखला के तहत तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का आयोजन कर रही है, आज इस संगीत सन्ध्या का दूसरा दिन था ।

दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के हजारों श्रोता दिग्गज कलाकारों द्वारा सरोद वादन और कर्नाटक संगीत की शानदार प्रस्तुतियों से मंत्रमुग्ध हो गए। नेहरू पार्क में शास्त्रीय संगीत प्रेमियों ने संगीत समारोह को आत्मविभोर होकर सुना और प्रमुख शास्त्रीय संगीत कलाकारों की विभिन्न धुनों/रागों पर उन्हें भरपूर तालियां बजाकर बारम्बार प्रोत्साहित किया ।

कल एनडीएमसी के “पार्क में संगीत” की श्रृंखला के तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत संध्या के समापन दिवस पर, उदय बावलकर (हिंदुस्तानी गायक) के साथ सुखद मुंडे (पखावज वादक), प्रसन्ना विश्वनाथन (सहायक गायक) और उसके बाद बेगम परवीन सुल्ताना (हिंदुस्तानी गायिका) के साथ शादाब सुल्ताना (सहायक गायिका), अकरम खान, (तबला वादक)तथा विनय मिश्रा (हारमोनियम वादक) अपनी प्रस्तुति देंगे।

ये शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम नेहरू पार्क के सुंदर शांत वातावरण में आयोजित किए जाते हैं, जहाँ दर्शक / श्रोता प्रसिद्ध और उभरते कलाकारों के निःशुल्क लाइव प्रदर्शन का आनंद ले सकते हैं।

एनडीएमसी द्वारा अपने क्षेत्र में संगीत, नृत्य और प्रदर्शन कला जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के पीछे उद्देश्य, शहरी जीवन को उन्नत करना है, जो व्यस्त कामकाजी तनावपूर्ण दिनचर्या के कारण महानगरों में दिन-प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है।

कला और संस्कृति को बढ़ावा देना एनडीएमसी अधिनियम-1994 की धारा-12 के तहत पालिका परिषद के कार्यों में से एक है। यह प्रावधान परिषद को कला और संस्कृति को संग्रहालयों और ऑडिटोरियम की सीमाओं से बाहर निकालकर खुले में लाने की जिम्मेदारी देता है, जहां आम जनता भाग ले सके और इसका निःशुल्क आनन्द भी ले सके।

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