नई दिल्ली,28 मार्च। दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के बंगले पर कैश मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अभी इंटरनल जांच चल रही है, इस वजह से इसमें दखल देना सही नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट कॉज लिस्ट के मुताबिक मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने की। याचिका में 34 साल पुराने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को भी चुनौती दी गई थी।
1991 में के वीरस्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि CJI की परमिशन के बिना हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस शुरू नहीं किया जा सकता।
दरअसल, जस्टिस वर्मा के घर में 14 मार्च को होली के दिन आग लग गई थी। फायर सर्विस की टीम जब उसे बुझाने गई तो स्टोर रूम में उन्हें बोरियों में भरे 500-500 रुपए के अधजले नोट मिले थे। तभी से यह पूरा मामला सुर्खियों में बना हुआ है।
उधर जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव पैनल से हटा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 26 मार्च को हाईकोर्ट में प्रशासनिक कामों से जुड़ी कमेटियों का पुर्नगठन किया गया था। इसमें जस्टिस वर्मा को शामिल नहीं किया गया है।
पुलिसकर्मियों के फोन फोरेंसिक लैब भेजे गए
दिल्ली पुलिस के 8 कर्मियों के मोबाइल फोन जब्त कर फोरेंसिक विभाग को भेजे गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक तुगलक रोड थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO), जांच अधिकारी हवलदार रूपचंद, सब-इंस्पेक्टर रजनीश, मोबाइल बाइक पेट्रोलिंग पर मौके पर पहुंचे दो कर्मियों और तीन PCR कर्मियों के मोबाइल की जांच की जा रही है।
अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आग लगने के दौरान जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो क्या इनके मोबाइल फोन पर कोई वीडियो रिकॉर्ड किया गया था या नहीं। और अगर वीडियो रिकॉर्ड किया था, तो क्या उसके साथ कोई छेड़छाड़ की गई है। दिल्ली पुलिस ने इन सभी के बयान भी दर्ज किए हैं।