चेन्नई ,22 मार्च। चेन्नई में शनिवार, 22 मार्च 2025 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में परिसीमन के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के 14 नेता शामिल हुए। राज्यों में लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर शनिवार को 5 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डिप्टी CM की बैठक चेन्नई में हुई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने चेन्नई में ये मीटिंग बुलाई, जिसमें 5 राज्यों के 14 नेता शामिल हुए। BJD प्रमुख नवीन पटनायक और TMC भी इसमें शामिल हुई।
इस दौरान स्टालिन के नेतृत्व में एक जॉइंट एक्शन कमेटी बनाई गई। जिसने परिसीमन पर प्रस्ताव पारित किया कि 1971 की जनगणना जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर रोक को अगले 25 साल तक बढ़ाया जाए। साथ ही कहा कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम प्रभावी ढंग से लागू किया है, वहां संवैधानिक संशोधन लागू किए जाएं।
बैठक में शामिल लोगों ने क्या-क्या कहा…
- तमिलनाडु CM एमके स्टालिन: परिसीमन के मुद्दे पर हमें एकजुट रहना होगा। वर्ना हमारी पहचान खतरे में पड़ जाएगी। संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कम नहीं होना चाहिए। हमें इस राजनीतिक लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए कानूनी पहलुओं पर भी विचार करना होगा। हम परिसीमन के खिलाफ नहीं, निष्पक्ष परिसीमन के पक्ष में हैं।
- केरल CM पिनराई विजयन : लोकसभा सीटों का परिसीमन तलवार की तरह लटक रहा है। भाजपा सरकार इस मामले पर बिना किसी परामर्श के आगे बढ़ रही है। दक्षिण के सीटों में कटौती और उत्तर में बढ़ोतरी भाजपा के लिए फायदेमंद होगी। उत्तर में उनका प्रभाव है।
- ओडिशा CM नवीन पटनायक: संसद में सीटों की संख्या निर्धारित करने के लिए जनसंख्या ही एकमात्र मानदंड नहीं होना चाहिए। परिसीमन प्रक्रिया शुरू करने से पहले सभी दलों के साथ चर्चा होनी चाहिए। हम ओडिशा के लोगों के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।
- कर्नाटक डिप्टी CM डीके शिवकुमार : भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण आंदोलन में शामिल हुए, लोकतंत्र और संघवाद की नींव जो खतरे में है। इसलिए एक अच्छी शुरुआत हुई है कि यहां एक निष्पक्ष जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) बनाई गई है।
- शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी : परिसीमन का पूरा मुद्दा दक्षिण भारतीय राज्यों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। उम्मीद है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी इसमें हिस्सा लेंगे, क्योंकि इसका असर उनके राज्य पर भी पड़ने वाला है।
मुख्य मुद्दे और चिंताएं:
बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया पर चर्चा करना था, जो जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण करती है। दक्षिणी राज्यों के नेताओं ने चिंता व्यक्त की कि जनसंख्या नियंत्रण में सफल होने के बावजूद, इस प्रक्रिया से उनके संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी आ सकती है, जिससे उनकी राजनीतिक ताकत प्रभावित होगी।