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आज की युवा पीढी को इस बात को समझना चाहिए कि कांग्रेस के शासनकाल में किस प्रकार से लोकतंत्र की हत्या की जाती रही है
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लोकतंत्र विजय दिवस कार्यक्रम में वीरेन्द्र सचदेवा ने लोकतंत्र सेनानियों का अभिनंदन किया
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आपातकाल के 19 महीनों कांग्रेस शासन की क्रूरता और तानाशाही का प्रमाण है – वीरेन्द्र सचदेवा
नई दिल्ली, 21 मार्च 25 । दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आज एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में 1977 में आपातकाल की समाप्ति दिवस 21 मार्च पर आयोजित लोकतंत्र विजय दिवस कार्यक्रम में 1975 – 77 के आपातकाल सेनानियों को संबोधित किया और उन्हें सच्चा देशभक्त बताया।
लोकतंत्र सेनानी संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सचदेवा के अतिरिक्त पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्वनी चौबे, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सोनी, सत्य नारायण जटिया, ओ. पी. बब्बर, सुभाष आर्या, राजीव बब्बर, राजन ढिगरा आदि उपस्थित थे। वीरेन्द्र सचदेवा ने देश भर से दिल्ली में आए उन सभी आपातकाल सेनानियों का सम्मान किया।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि अगर लोकतंत्र को समझना हो तो सबसे पहले हमें लोकतंत्र के सेनानी जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया उन्हें समझने की जरुरत है।
इस मौके पर उपस्थित आपातकाल सेनानियों को संबोधित करते हुए वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि 21 मार्च को ही देश से आपातकाल हटाया गया था। इसलिए यह लोकतंत्र की विजय का दिन है। कांग्रेस के क्रूर शासकों द्वारा 25 जून 1975 को लोकतंत्र को कुचलने का काम किया गया था उस लड़ाई को लड़ने वाले आपातकाल में जितने साथियों ने यातनाएं सही और 19 महीनो तक जेल काटीं और कई आपातकाल बंदियों को शहादत देनी पड़ी, उन सभी के त्याग बलिदान पर खड़ा है भारतीय लोकतंत्र।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि हिंदुस्तान भर से आए आपातकाल के वे सभी साथी जिन्होंने इस कष्ट को देखा है, उन्हें हमने आज सम्मानित किया है। यह दिल्ली के लिए सौभाग्य की बात है।
उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढी को इस बात को समझना चाहिए कि कांग्रेस के शासनकाल में किस प्रकार से लोकतंत्र की हत्या की जाती रही है। आपातकाल के 19 महीनों कांग्रेस शासन की क्रूरता और तानाशाही का प्रमाण है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने उन सभी आपातकाल सेनानियों और उनके परिवार के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की जिन्होंने आपातकाल के कष्ट सहे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व भर में भारतीय लोकतंत्र की डंका बजा रहे हैं और भारतीय लोकतंत्र की सच्ची ताकत जनता की आवाज को बढ़ाने का काम किया है।
यह सौभाग्य की बात है कि आपातकाल में अलग अलग प्रांतों के सेनानियों का स्वागत करने के लिए दिल्ली साक्षी बना है। आपातकाल सेनानियों के लिए दिल्ली की सरकार को जो करना है करेगी और सरकार ऐसे महानुभावों का सम्मान क्या बढ़ाएगी अगर वह कुछ कर रही है तो वह सिर्फ अपना सम्मान बढ़ा रही है, इसलिए हमारा प्रयास रहेगा कि आपसे कुछ सीखकर हम उस तरह के समाज का निर्माण करें जहां 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प ले सके।