एनडीएमसी ने जल संरक्षण और बाढ़ प्रबंधन को मजबूत करने के लिए मॉड्यूलर वर्षा जल संचयन गड्ढों को अपनाया – कुलजीत सिंह चहल

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बाढ़ प्रबंधन एवं “जल संचय – जन भागीदारी” पहल पर उच्चस्तरीय बैठक में भाग लिया

नई दिल्ली | 18 मार्च, 2025 । नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने वर्षा जल संचयन के लिए मॉड्यूलर तकनीक अपनाने का निर्णय लिया है, जिससे सतत जल प्रबंधन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सुदृढ़ होगी। एनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने जल संसाधन विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा श्रम शक्ति भवन, नई दिल्ली में आयोजित बाढ़ प्रबंधन एवं “जल संचय – जन भागीदारी” पहल पर उच्चस्तरीय बैठक में भाग लिया।

इस बैठक की अध्यक्षता माननीय केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, सी. आर. पाटिल जी ने की, जिसमें एनडीएमसी के माननीय अध्यक्ष श्री केशव चंद्रा, केंद्रीय जल आयोग (CWC), राष्ट्रीय जल मिशन (NWM), केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) और अन्य प्रमुख हितधारकों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक में चहल ने जल संरक्षण में जन भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया और सभी हितधारकों से सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
केशव चंद्रा ने एक विस्तृत पावरपॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से एनडीएमसी क्षेत्र में प्रभावी बाढ़ प्रबंधन और वर्षा जल संरक्षण की प्रमुख रणनीतियों को प्रस्तुत किया गया ।

उन्होने बताया कि जल उपयोग को अनुकूलित करने के लिए एनडीएमसी ने अपने अधिकार क्षेत्र में वर्षा जल संचयन (RWH) परियोजनाएं शुरू की हैं, जिसमें क्रॉसवे तकनीक पर आधारित मॉड्यूलर वर्षा जल संचयन गड्ढे शामिल हैं। यह एक किफायती और पर्यावरण अनुकूल समाधान है, जिसमें ईंटों और सीमेंट का न्यूनतम उपयोग किया जाता है, जिससे निर्माण लागत कम होती है। इन गड्ढों में पॉलीप्रोपाइलीन मॉड्यूल का उपयोग किया जाता है, जिन्हें जियो-टेक्सटाइल में लपेटा जाता है ताकि जल की गुणवत्ता बनी रहे। इन संरचनाओं की भार सहन करने की क्षमता उन्हें पार्किंग या उद्यानों के लिए उपयुक्त बनाती है, और इनमें 95% जल भंडारण की उच्च क्षमता होती है। संचयित जल का उपयोग भूजल पुनर्भरण, फव्वारों, सौंदर्यीकरण परियोजनाओं और एनडीएमसी क्षेत्र के हरे-भरे स्थानों के रखरखाव के लिए किया जाएगा।

कुलजीत चहल ने बताया कि एनडीएमसी ने अब तक 272 वर्षा जल संचयन गड्ढों का निर्माण किया है, जिनमें 167 पारंपरिक गड्ढे और 105 मॉड्यूलर गड्ढे शामिल हैं। इनमें से 182 गड्ढों की सफाई की जा चुकी है और बाकी गड्डों की सफाई मई 2025 तक पूरी कर ली जाएगी । जल संरक्षण प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए, सीजीडबल्यूबी रिपोर्ट के अनुसार 30 किलो लीटर क्षमता वाले 95 नए जल संचयन गड्ढों का निर्माण किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि एनडीएमसी ने 27 प्रमुख जलभराव स्थलों की पहचान की है, जिनमें पुराना किला रोड, गोल्फ लिंक, लोधी कॉलोनी, अफ्रीका एवेन्यू, एम्स फ्लाईओवर, बीकेएस मार्ग, कनॉट प्लेस और विनय मार्ग शामिल हैं। इन स्थलों पर जलभराव की समस्या से निपटने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने की योजना बनाई गई है।

बाढ़ और जलभराव की समस्या को संबोधित करते हुए श्री चहल ने बताया कि एनडीएमसी का 42.7 वर्ग किमी का जल निकासी नेटवर्क चार प्रमुख जल निकासी क्षेत्रों में फैला हुआ है। इसके समक्ष जलवायु परिवर्तन, बढ़ती वर्षा तीव्रता, सीमित जल निकासी क्षमता (25 मिमी प्रति घंटे), सुनहरी पुल्ला नाला और पुराना किला रोड जैसे प्रमुख आउटफॉल पर प्रतिकूल ढलान की समस्या और सीपीडब्ल्यूडी, एनबीसीसी, रेलवे और पीडब्ल्यूडी जैसी एजेंसियों द्वारा चल रही निर्माण परियोजनाओं से उत्पन्न जल प्रवाह अवरोध जैसी चुनौतियाँ हैं।

उन्होने कहा कि इन समस्याओं से निपटने के लिए, एनडीएमसी ने मानसून पूर्व तैयारी योजना लागू की है, जिसमें 11,867 मैनहोल, 8,704 बेलमाउथ और 7,177 चैम्बरों/गली ट्रैप्स की नियमित सफाई और प्रमुख नालों की गाद निकालने की प्रक्रिया शामिल है। प्रत्येक 45 दिनों में सफाई कार्य किया जाता है, और जून 2025 से पहले एक अतिरिक्त सफाई चक्र भी पूरा किया जाएगा। समयबद्ध सफाई सुनिश्चित करने के लिए एनडीएमसी ने 10 मशीनें तैनात की हैं।

कुलजीत चहल ने कहा कि जल निकासी और बाढ़ नियंत्रण के लिए अभिनव समाधानों के तहत एनडीएमसी ने रोबोटिक मशीनों, सुपर सकर्स और गैर-मैनुअल तरीकों से गाद निकालने के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। यह निविदा मार्च 2025 में खुलेगी और दयाल सिंह कॉलेज, लोधी रोड और डीटीसी डिपो में कार्यान्वित होगी। परियोजना को अप्रैल 2025 में ठेका दिया जाएगा और जून 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।

चहल ने बताया कि जलभराव को कम करने के लिए एनडीएमसी ने जलभराव संभावित क्षेत्रों में जल निकासी पंप तैनात किए हैं और सीपीडब्ल्यूडी, पीडब्ल्यूडी, आईएंडएफसी, एनबीसीसी और रेलवे के साथ समन्वय बढ़ाया है। एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) विकसित की गई है, जिससे मानसून पूर्व और मानसून के दौरान बेहतर तालमेल सुनिश्चित किया जा सके।

अतिरिक्त उपायों में पालिका केंद्र स्थित एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र (ICCC) के माध्यम से 24×7 सीसीटीवी निगरानी, एनडीएमसी311 मोबाइल ऐप के माध्यम से रियल-टाइम शिकायत निवारण, और छह रणनीतिक स्थलों पर जल निकासी नियंत्रण कक्षों की स्थापना शामिल है, जो आवश्यक जनशक्ति और मोबाइल पंपों से सुसज्जित हैं। एनडीएमसी ने प्लास्टिक कचरा, सूखे पत्ते और मलबा हटाने के लिए प्रेशर जेटिंग मशीनें और सुपर सकर्स भी तैनात किए हैं। इसके अतिरिक्त, 32 एचपी क्षमता के आठ नए ट्रॉली-माउंटेड जल निकासी पंप खरीदे गए हैं और जलभराव संभावित क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं।

चहल ने कहा कि प्रधानमंत्री के जल संरक्षण को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने के संकल्प के अनुरूप, “जल संचय – जन भागीदारी” के महत्व के उद्देश्य से एनडीएमसी द्वारा उठाए गए ये सक्रिय कदम जल संरक्षण के प्रति परिषद की प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करते हैं। उन्होने कहा कि नवीन वर्षा जल संचयन समाधानों और सुदृढ़ बाढ़ नियंत्रण तंत्र को एकीकृत करके, एनडीएमसी नई दिल्ली में प्रभावी जल संरक्षण, उन्नत जल निकासी अवसंरचना और दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखती है ।

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