तमिलनाडु ,12 मार्च। मद्रास हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि तमिलनाडु में सरकारी नौकरियों के लिए तमिल भाषा का ज्ञान अनिवार्य होगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि तमिल भाषा का ज्ञान न होने पर किसी भी उम्मीदवार को सरकारी नौकरी में नियुक्ति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने यह फैसला राज्य में सरकारी पदों पर स्थानीय भाषाई पहचान बनाए रखने और प्रशासनिक सुगमता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया है।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस. वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति पी. डी. ऑडिकेसवलु की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि:
- तमिलनाडु की संस्कृति, परंपरा और प्रशासन की समझ के लिए तमिल भाषा का ज्ञान जरूरी है।
- सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को स्थानीय जनता से सीधे संवाद करना होता है, जिसके लिए तमिल भाषा का ज्ञान आवश्यक है।
- राज्य के सरकारी स्कूलों और संस्थानों में भी तमिल भाषा को प्रमुखता देने की जरूरत है।
फैसले की पृष्ठभूमि
इस मामले में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु में अन्य राज्यों से आए उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी में नियुक्ति दी जा रही है, जो स्थानीय भाषा तमिल से अनभिज्ञ होते हैं। इससे स्थानीय जनता को अपनी समस्याएं प्रशासन तक पहुंचाने में कठिनाई होती है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि तमिलनाडु के संविधान और राज्य की आधिकारिक भाषा नीति के तहत सरकारी पदों पर नियुक्ति के लिए तमिल भाषा का ज्ञान अनिवार्य होना चाहिए।
हाईकोर्ट ने दिया सख्त निर्देश
कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि:
- सरकारी पदों पर भर्ती के लिए उम्मीदवारों को तमिल भाषा की परीक्षा पास करना अनिवार्य किया जाए।
- तमिल भाषा की परीक्षा को भर्ती प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाए।
- नियुक्ति के बाद अगर किसी कर्मचारी को तमिल भाषा का ज्ञान नहीं है तो उसे एक निश्चित समय के भीतर तमिल सीखने का अवसर दिया जाए।
सरकार का रुख
तमिलनाडु सरकार ने अदालत में कहा कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए तमिल भाषा का ज्ञान जरूरी है। सरकार पहले से ही सरकारी नौकरियों के लिए तमिल भाषा की परीक्षा आयोजित कर रही है।
- मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने कहा कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान और प्रशासनिक सुगमता बनाए रखने के लिए यह फैसला बेहद जरूरी है।
- सरकार ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे स्थानीय लोगों को सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में आसानी होगी।
➡️ राजनीतिक प्रतिक्रिया:
- डीएमके और एआईएडीएमके ने इस फैसले का समर्थन किया है।
- भाजपा ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के लिए भेदभाव पैदा होगा।
➡️ जनता की प्रतिक्रिया:
- स्थानीय लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
- युवा वर्ग का मानना है कि इससे राज्य के लोगों को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे।
इस फैसले के लागू होने से तमिलनाडु में सरकारी नौकरियों के लिए बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों के लिए कठिनाई बढ़ सकती है।
- स्थानीय उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिलेगी।
- तमिल भाषा का ज्ञान रखने वाले उम्मीदवारों के लिए नौकरी के अधिक अवसर खुलेंगे।
मद्रास हाईकोर्ट का यह फैसला तमिलनाडु में प्रशासनिक व्यवस्था को स्थानीय जनता के लिए अधिक सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे तमिल भाषा की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। अदालत के इस आदेश के बाद तमिलनाडु सरकार जल्द ही भर्ती प्रक्रिया में तमिल भाषा की परीक्षा को अनिवार्य कर सकती है।