अमेरिका ने आर्थिक मदद रोकी, नेपाल की अर्थव्यवस्था चरमराई

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वाशिंगटन ,8 मार्च। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वित्तीय मदद रोकने से नेपाल की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। सरकार मौजूदा खर्चों को पूरा करने में असमर्थ है, जिससे सरकार को देश के लोगों से लोन लेना पड़ रहा है। नेपाल पर सार्वजनिक कर्ज तेजी से बढ़ रहा है। अब यह बोझ दोगुना हो गया है। चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में सार्वजनिक कर्ज में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है।

कर्ज प्रबंधन कार्यालय के अनुसार, पिछले साल के जुलाई में सार्वजनिक कर्ज 24.034 लाख करोड़ रुपए था, जो फरवरी तक बढ़कर 26.011 लाख करोड़ रुपए हो गया। नेपाल में सरकारी कर्ज बढ़कर देश के जीडीपी का 45.77% है। एक दशक पहले तक यह आंकड़ा जीडीपी का 22% था। वहीं, कुल कर्ज में विदेशी कर्ज 50.87% है, घरेलू कर्ज 49.13% है।

95 अरब की USAID बंद, शिक्षा और हेल्थ प्रोजेक्ट प्रभावित अमेरिकी एजेंसी USAID के 95 अरब रुपए के कार्यक्रमों के स्थगित होने से स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि प्रभावित हुई है। मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) परियोजना भी अमेरिकी सहयोग बंद होने के बाद रुक गई है।

इस साल सरकार 18.063 लाख करोड़ रुपए का बजट लागू कर रही है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण बजट में लगभग दस प्रतिशत की कटौती की गई है। पिछले सप्ताह सरकार ने नागरिक बचत बांड के माध्यम से 3.5 अरब रुपए का कर्ज जारी किया।

लोन का सही इस्तेमाल नहीं, ​हालात बिगड़े

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 5 खरब 47 अरब रुपએए का सार्वजनिक ऋण जुटाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन चुकौती के लिए केवल 4 खरब 2 अरब रुपए आवंटित किए हैं। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि देश में सरकारी लोन चेतावनी के स्तर पर पहुंच गया है।

सुशासन विशेषज्ञ डॉ. ठाकुर प्रसाद भट्ट ने कहा कि सार्वजनिक ऋण में वृद्धि से नेपाल की अर्थव्यवस्था को खतरा हो सकता है। ऋण का सही क्षेत्रों में प्रभावी उपयोग नहीं हो रहा है, जिससे समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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