पर्यावरण मंत्री ने बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन जागरूकता कार्यशाला का उद्घाटन किया

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* बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन में बेहतरीन कार्य करने वाले 20 सरकारी अस्पताल सम्मानित बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट से संबंधित पुस्तक का विमोचन किया

*वैज्ञानिक तरीके से बायो-मेडिकल कूड़े की छंटाई और निस्तारण किया जाये – मंजिन्दर सिंह सिरसा

नई दिल्ली, 7 मार्च 2025 । दिल्ली सरकार के माननीय पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने आज बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन जागरूकता कार्यशाला का उद्घाटन किया। यह कार्यशाला दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और सेंटर फॉर ऑक्यूपेशनल एंड एनवायरनमेंटल हेल्थ (COEH) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। दिल्ली सचिवालय के ऑडिटोरियम में हुई इस कार्यशाला में सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन से जुड़े नियमों की जानकारी देना, उचित तरीके से निस्तारण को बढ़ावा देना और अस्पतालों को प्रभावी वेस्ट प्रबंधन नीतियाँ अपनाने के लिए प्रेरित करना था। इस दौरान बायो-मेडिकल वेस्ट के निपटान से जुड़े दिशानिर्देशों, महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं और सरकार द्वारा लागू नियमों पर चर्चा की गई।

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा जिम्मेदार तरीके से कचरे के निपटान के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “बायो-मेडिकल वेस्ट का सही प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है। सरकार इस दिशा में अस्पतालों का पूरा सहयोग कर रही है, और इस तरह की कार्यशालाएँ उन्हें जिम्मेदारी से वेस्ट के निपटान की प्रक्रिया अपनाने के लिए मार्गदर्शन देंगी।”

कार्यशाला के दौरान यह बात सामने आई कि सभी बायो-मेडिकल वेस्ट हानिकारक नहीं होता, लेकिन यदि हानिकारक और गैर-हानिकारक वेस्ट को अलग-अलग नहीं किया जाए, तो गैर-हानिकारक वेस्ट भी हानिकारक बन सकता है। यह न केवल पर्यावरण बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है।

इसलिए, उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से बायो-मेडिकल कचरे के उचित छंटाई, संग्रहण और निस्तारण की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि स्वास्थ्यकर्मियों और पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।


साथ ही साथ कहा कि दिल्ली ने पर्यावरण प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। सरकार द्वारा निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, कचरा प्रबंधन नीतियाँ और सस्टेनेबल उपायों को बढ़ावा देने जैसे कई प्रयास किए जा रहे हैं।

दिल्ली में वर्तमान में स्वास्थ्य संस्थानों से रोज लगभग 31 मीट्रिक टन बायो-मेडिकल कचरा उत्पन्न होता है। इसकी संभावित हानिकारक प्रकृति को देखते हुए, बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है।

दिल्ली में वर्तमान समय में दो बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट केंद्र संचालित हैं, जिनकी कुल क्षमता 62.8 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। इन केंद्रों की मदद से बायो-मेडिकल कचरे को नियंत्रित और पर्यावरण-सुरक्षित तरीके से निस्तारित किया जाता है।

इस कार्यशाला में इस बात पर चर्चा कि गई कि अनुचित तरीके से बायो-मेडिकल कचरे का निपटान करने से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसके समुचित निस्तारण नहीं होने से वायु प्रदूषण के साथ साथ वाटर पॉल्यूशन की समया भी बढ़ सकती है।

इस समस्या से निपटने के लिए संबंधित संस्थानों की नियमित निगरानी, समय-समय पर ऑडिट और बायो मेडिकल निस्तारण केंद्रों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है ताकि अनधिकृत निपटान और अवैध रूप से जलाने जैसी समस्याओं को रोका जा सके।

इस कार्यशाला के दौरान बेहतरीन बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन करने वाले 20 सरकारी अस्पतालों को सम्मानित किया गया। इनमें स्वामी दयानंद अस्पताल (दिलशाद गार्डन) और बुराड़ी अस्पताल शीर्ष स्थान पर रहे। इन अस्पतालों को बेहतर बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन और स्वच्छता बनाए रखने के लिए सम्मानित किया गया।

अपने संबोधन मे सिरसा ने कहा,
“स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण के लिए सभी स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है। सरकार, स्वास्थ्य संस्थान और आम नागरिक—सभी को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा। सख्त नियमों का पालन और सामूहिक प्रयासों से ही हम एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।”

इस कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग और पर्यावरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, सरकारी अस्पतालों के प्रतिनिधि एवं अन्य विशेषज्ञ मौजूद रहे।

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