तमिलनाडु ,6 मार्च। नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत 3 लैंग्वेज पॉलिसी के समर्थन में तमिलनाडु भाजपा ने हस्ताक्षर कैंपेन शुरू किया। इस दौरान तमिलनाडु भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने 3 लैंग्वेज पॉलिसी को समय की जरूरत बताई।
अन्नामलाई ने स्टालिन सरकार पर हमला बोलते हुए पूछा, 2006 से 2014 तक गठबंधन वालों ने एक भी ट्रेन का नाम तमिल आइकन के नाम पर क्यों नहीं रखा? वहीं भाजपा सरकार ने सेंगोल एक्स्प्रेस की तरह कई ट्रेनों का नाम तमिल प्रतीकों पर रखा।
इधर तमिलनाडु भाजपा नेता तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा, ‘थ्री लैंग्वेज पॉलिसी निजी संस्थानों में लागू है, लेकिन सरकारी संस्थानों में दो-भाषा नीति अपनाई जा रही है। सरकारी स्कूलों के बच्चों को दूसरी भाषा सीखने का मौका क्यों नहीं दिया जा रहा?’
उन्होंने NEP लागू करने की मांग उठाते हुए कहा कि इससे गवर्नमेंट और सेंट्रल बोर्ड की परीक्षाओं में एक तरह की एजुकेशन पॉलिसी लागू होगी। साथ ही छात्रों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
तमिलनाडु सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी का विरोध जताया तमिलनाडु सरकार पहले ही 3 लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर विरोध जता चुकी है। सीएम एमके स्टालिन ने इसे हिंदी थोपने की कोशिश बताया था। उन्होंने कहा कि ‘3 लैंग्वेज पॉलिसी के कारण केंद्र ने तमिलनाडु के फंड रोक दिए हैं। परिसीमन का असर राज्य के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर भी पड़ेगा।’
प्राइमरी क्लासेस (क्लास 1 से 5 तक) में पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने की सिफारिश की गई है। वहीं, मिडिल क्लासेस (क्लास 6 से 10 तक) में 3 भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्य में यह अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। सेकेंड्री सेक्शन यानी 11वीं और 12वीं में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे।
गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा
5वीं और जहां संभव हो 8वीं तक की क्लासेस की पढ़ाई मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करने पर जोर है। वहीं, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जा सकती है।
किसी भाषा को अपनाना अनिवार्य नहीं
राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की स्वतंत्रता है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाएंगे। किसी भी भाषा को अनिवार्य रूप से थोपने का प्रावधान नहीं है।
तमिलनाडु में 2 लैंग्वेज फॉर्मूला लागू है
तमिलनाडु में पहले से ही 2 लैंग्वेज फॉर्मूला लागू है। पहली भाषा तमिल (मातृभाषा/राज्य की भाषा) और दूसरी भाषा अंग्रेजी (आधिकारिक और इंटरनेशनल कम्युनिकेशन के लिए)। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि यह मॉडल सफल है और छात्रों पर भाषा का अतिरिक्त बोझ डालने की जरूरत नहीं है।