संभल,28 फरवरी। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मस्जिद में रंगाई-पुताई की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, जिससे स्थानीय प्रशासन और याचिकाकर्ताओं को झटका लगा है।
क्या है मामला?
संभल की जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसकी मरम्मत व रंगाई-पुताई को लेकर विवाद चल रहा था। कुछ लोगों ने मस्जिद की रंगाई-पुताई के लिए अनुमति मांगी थी, जबकि दूसरी ओर कुछ लोग इसके खिलाफ थे। मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहां न्यायालय ने मौजूदा स्थिति को बरकरार रखने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि धार्मिक स्थलों पर बिना उचित अनुमति के कोई भी परिवर्तन करना उचित नहीं है। चूंकि यह मस्जिद ऐतिहासिक महत्व रखती है, इसलिए किसी भी प्रकार की रंगाई-पुताई या मरम्मत के लिए सरकार और पुरातत्व विभाग की मंजूरी आवश्यक होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक सभी संबंधित विभागों की सहमति नहीं मिल जाती, तब तक किसी भी तरह का कार्य नहीं किया जा सकता।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
संभल जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि वे अदालत के निर्देशों का पालन करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि यदि किसी भी प्रकार की मरम्मत या रंगाई-पुताई करनी हो, तो इसके लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा।
याचिकाकर्ताओं की राय
याचिकाकर्ताओं ने अदालत के फैसले पर निराशा जताई और कहा कि मस्जिद की दीवारों और संरचना की स्थिति को सुधारने के लिए रंगाई-पुताई जरूरी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे अब कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे की रणनीति तय करेंगे।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों में इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों का मानना है कि जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसकी मरम्मत व देखभाल जरूरी है, जबकि कुछ अन्य लोगों का कहना है कि कोर्ट के आदेशों का सम्मान करना चाहिए और कानूनी प्रक्रिया के तहत ही कोई भी कार्य किया जाना चाहिए।
आगे की राह
इस फैसले के बाद अब प्रशासन, पुरातत्व विभाग और संबंधित पक्षों को आपसी सहमति से मस्जिद की मरम्मत और रंगाई-पुताई के लिए कदम उठाने होंगे। यदि अनुमति मिलती है, तो तय प्रक्रियाओं के तहत कार्य किया जाएगा।
संभल जामा मस्जिद से जुड़े इस फैसले ने धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की प्रक्रिया क्या होती है और मस्जिद के संरक्षण को लेकर क्या निर्णय लिए जाते हैं।