नई दिल्ली,27 फरवरी। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर दिल्ली में नॉन-वेज खाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। धार्मिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन के बीच इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है। जहां कुछ लोगों का मानना है कि इस दिन मांसाहार पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, वहीं अन्य इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला बता रहे हैं।
विवाद की शुरुआत महाशिवरात्रि के अवसर पर दिल्ली के कुछ इलाकों में मांसाहारी भोजन की बिक्री और सेवन को लेकर विवाद सामने आया। धार्मिक संगठनों ने मांग की कि इस दिन सार्वजनिक स्थानों पर नॉन-वेज की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए, जबकि कुछ रेस्तरां मालिकों और नागरिकों ने इसका विरोध किया।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया दिल्ली नगर निगम और स्थानीय प्रशासन ने इस मुद्दे पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है। अधिकारियों का कहना है कि वे सभी पक्षों को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं और कोई ऐसा निर्णय नहीं लेंगे जिससे किसी समुदाय की स्वतंत्रता प्रभावित हो। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में दुकानदारों ने स्वेच्छा से नॉन-वेज की बिक्री रोक दी है।
सामाजिक संगठनों की राय
- धार्मिक संगठनों का पक्ष: हिंदू संगठनों का कहना है कि महाशिवरात्रि एक पवित्र त्योहार है और इस दिन नॉन-वेज का सेवन आस्था का अपमान है।
- व्यापारी और आम जनता का पक्ष: रेस्तरां मालिकों और नागरिकों का मानना है कि भोजन की पसंद व्यक्तिगत अधिकार का विषय है और इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया इस विवाद पर राजनीतिक दलों की भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ नेताओं ने धार्मिक भावनाओं के सम्मान की बात कही, तो कुछ ने इसे अनावश्यक विवाद करार दिया।
निष्कर्ष दिल्ली में महाशिवरात्रि पर नॉन-वेज खाने को लेकर उत्पन्न विवाद ने धार्मिक आस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच की बहस को फिर से उजागर कर दिया है। प्रशासन किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस मुद्दे पर क्या निर्णय लिया जाता है।