देहरादून ,22 फरवरी। के लिए आवंटित फॉरेस्ट फंड के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस फंड का इस्तेमाल iPhone खरीदने जैसे गैर-जरूरी खर्चों के लिए किया गया। इस खुलासे के बाद राज्य में प्रशासनिक पारदर्शिता और वित्तीय कुप्रबंधन को लेकर बहस छिड़ गई है।
क्या कहती है CAG रिपोर्ट?
CAG की ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया कि वन विभाग को जंगलों के संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा और हरित विकास के लिए जो राशि आवंटित की गई थी, उसका इस्तेमाल अत्यधिक महंगे iPhone खरीदने में किया गया। रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि अन्य गैर-जरूरी खर्चों की भी जांच की जा रही है।
फॉरेस्ट फंड का दुरुपयोग क्यों विवादित?
फॉरेस्ट फंड आमतौर पर वन्य जीवों की सुरक्षा, वृक्षारोपण, जंगलों की देखभाल, रिसर्च और वन क्षेत्र के विकास के लिए आवंटित किया जाता है। लेकिन iPhone जैसी महंगी व्यक्तिगत वस्तुओं पर इस फंड का इस्तेमाल होना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी पैसों की अनियमितता का भी संकेत देता है।
सरकार और वन विभाग की सफाई
इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद राज्य सरकार और वन विभाग के अधिकारियों की ओर से सफाई दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि फॉरेस्ट विभाग में टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के तहत कुछ डिवाइस खरीदी गई थीं, लेकिन मामले की पूरी जांच की जा रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और संभावित कार्रवाई
CAG रिपोर्ट के इस खुलासे के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर भ्रष्टाचार और वित्तीय लापरवाही के आरोप लगाए हैं। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ सकता है और सरकार पर जवाबदेही तय करने का दबाव बन सकता है।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
अब इस मामले की विस्तृत जांच हो सकती है, और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग उठ रही है। यदि अनियमितता साबित होती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी कदम भी उठाए जा सकते हैं।
उत्तराखंड में इस खुलासे ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली और सरकारी फंड के उपयोग को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।