शिव नवरात्रि के चतुर्थ दिवस भगवान श्री महाकालेश्वर ने श्री घटाटोप स्वरुप धारण कर भक्‍तों को दिये दर्शन

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उज्जैन 20 फरवरी 2025 । मान्यता है कि जो भी व्यक्ति दक्षिणमुखी श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में भी उज्जैन का विशेष महत्व है। इसी के साथ ही श्री महाकालेश्वर मन्दिर के श्री गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान श्री गणेश व श्री कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएं हैं। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में श्री नंदीकेश्वर भगवान प्रतिमा विराजित है। साथ ही सम्पूर्ण मंदिर परिसर में श्री महाकालेश्वर भगवान के अतिरिक्त विभिन्न देवता विराजमान है |

श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि का उत्सव बड़ी धूम-धाम व उल्हास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान श्री महाकालेश्वर 25 फरवरी 2025 तक अलग-अलग नौ रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण स्थित कोटितीर्थ के तट पर प्रात: 08 बजे से श्री गणेश पूजन व श्री कोटेश्‍वर महादेव भगवान का पूजन-अभिषेक-आरती के साथ शिव नवरात्रि महोत्सव के चतुर्थ दिवस का प्रारम्‍भ हुआ। श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी श्री घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राम्‍हणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान जी का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया । पूजन का यह क्रम 25 फरवरी 2025 तक प्रतिदिन चलेगा | अपराह्न में 3 बजे सांध्य पंचामृत पूजन के पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान ने निराकार से साकार रूप धारण किया।

शिव नवरात्रि के चतुर्थ दिवस संध्या पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर ने श्री घटाटोप स्वरुप धारण कर भक्तों को दर्शन दिये । भगवान श्री महाकालेश्वर को केसरी रंग के नवीन वस्त्र के साथ मेखला, दुप्पटा, मुकुट, मुंड-माला, छत्र आदि से सुसज्जित कर श्रृंगार किया गया। साथ ही भगवान श्री महाकालेश्‍वर को नागकुंडल एवं फलों की माला में दर्शन दिए |

शुक्रवार 21 फरवरी 2025 को श्री महाकालेश्वर भगवान श्री छबीना स्‍वरूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देगें।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा इस वर्ष नौ दिवसीय नारदीय कीर्तन हेतु पुणे से राष्ट्रीय कीर्तनकार आयुर्वेदाचार्य डॉ.अजय अपामार्जने को आमंत्रित किया गया है | श्री महाकालेश्वर मंदिर में यह परंपरा विगत 115 वर्षों से भी अधिक समय से चलती आ रही है।

18 फरवरी 2025 से डॉ. अजय अपामार्जने की नौ दिवसीय कथा का प्रारंभ हुवा है | कीर्तन प्रतिदिन सायं 05 से 06 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर हो रहा है | हरिकीर्तन के चोथे दिन डॉ. अपामर्जने ने राम-कृष्ण-हरि के कीर्तन पश्यात भगवान महाकाल के भक्त श्री नाभाग की कथा को आगे बढ़ाते हुए उनके त्याग और बलिदान का वर्णन किया | कथा के दौरान तबला पर संगत श्री श्रीधर व्यास ने की।

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