महाराष्ट्र ,14 फरवरी। महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के बढ़ते मामलों के पीछे कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (सी. जेजुनी) बैक्टीरिया होने का दावा किया गया है। राज्य में GB सिंड्रोम संदिग्ध मरीजों की संख्या 205 हो गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पुणे से सामने आए GB सिंड्रोम पॉजिटिव केसों की जांच में 20 से 30 फीसदी मामलों में सी. जेजुनी पाया गया है। ये नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में की गई है।
कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया आमतौर पर पेट में संक्रमण का कारण बनता है, ये GB सिंड्रोम को ट्रिगर करता है। ये बैक्टीरिया दूषित पानी और खाने में होता है। इससे नर्व डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक गुरुवार को 2 नए मामले सामने आए। 205 में से 177 में GB सिंड्रोम की पुष्टि हुई है। अबतक 8 मरीजों की मौत हुई है। वर्तमान में 20 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
ठाणे सहित दूसरे जिलों में जिला परिषद ने वाटर डिसइन्फेक्शन कैंपेन शुरू किया गया है। कैंपेन के जरिए ठाणे, पुणे सहित दूसरे जिलों के ग्रामीण इलाकों में लोगों को शुद्ध पानी पीने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
पुणे में GB सिंड्रोम के बढ़ते मामलों के लिए प्रदूषित जल कारण माना जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक सार्वजनिक स्थानों, ग्राम पंचायत कार्यालयों, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों सहित 5430 से ज्यादा वाटर सोर्स का निरीक्षण किया जाएगा।
कर्मचारियों को टेस्टिंग किट दी गई
ठाणे में जिला परिषद ने ट्रेंड की गईं फीमेल वॉलंटियर्स को पानी की गुणवत्ता की जांचने के लिए बायोलॉजिकल फील्ड टेस्टिंग किट FTK-H2S शीशियां सौंपी हैं। जिला परिषद ने प्रत्येक ग्रामीण परिवार को हर दिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर साफ पानी उपलब्ध कराने का टारगेट रखा है।
सबसे ज्यादा मरीज नांदेड़ से
एक अधिकारी के मुताबिक GB सिंड्रोम के सबसे ज्यादा मामले नांदेड़ के पास स्थित एक हाउसिंग सोसाइटी से हैं। यहां पानी का सैंपल लिया गया था, जिसमें कैंपिलोबैक्टर जेजुनी पॉजिटिव पाया गया। यह पानी में होने वाला एक बैक्टीरिया है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने पुष्टि की है कि नांदेड़ और उसके आसपास के इलाकों में GB सिंड्रोम प्रदूषित पानी के कारण फैला है। पुणे नगर निगम ने नांदेड़ और आसपास के इलाके में 11 निजी आरओ सहित 30 प्लांट को सील कर दिया है।