नई दिल्ली,13 फरवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में नया आयकर विधेयक 2025 पेश किया, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा। इस विधेयक का उद्देश्य कर कानूनों को सरल, पारदर्शी और करदाताओं के अनुकूल बनाना है।
विधेयक की मुख्य विशेषताएँ
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संरचना में बदलाव: नए विधेयक में कुल 536 धाराएँ, 23 अध्याय और 16 अनुसूचियाँ हैं, जबकि पुराने अधिनियम में 298 धाराएँ, 14 अनुसूचियाँ थीं। पृष्ठों की संख्या भी 823 से घटाकर 622 कर दी गई है।
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भाषा की सरलता: कानून की भाषा को सरल और स्पष्ट बनाया गया है, जिससे करदाताओं के लिए इसे समझना आसान होगा।‘
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असेसमेंट ईयर’ का स्थान ‘टैक्स ईयर’: नए विधेयक में ‘असेसमेंट ईयर’ को ‘टैक्स ईयर’ से प्रतिस्थापित किया गया है, जिससे करदाताओं के लिए कर निर्धारण वर्ष को समझना आसान होगा।
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क्रिप्टो एसेट्स का समावेश: क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल एसेट्स को अघोषित आय की श्रेणी में शामिल किया गया है, जैसे वर्तमान में नकदी, बुलियन और आभूषणों को शामिल किया जाता है।
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करदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा: विधेयक में ‘करदाता चार्टर’ को शामिल किया गया है, जो करदाताओं के अधिकारों की रक्षा करेगा और कर प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाएगा।
आगे की प्रक्रिया
विधेयक को लोकसभा में पेश करने के बाद, इसे समीक्षा के लिए चयन समिति (सेलेक्ट कमिटी) को भेजा गया है। समिति अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी, जिसके बाद सरकार अंतिम निर्णय लेगी। यदि विधेयक पारित होता है, तो इसे 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जाएगा।
यह नया आयकर विधेयक कर प्रणाली को सरल बनाने और करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।