मुस्तफाबाद का नाम बदलकर शिव विहार? दिल्ली चुनाव जीतते ही बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट का बड़ा ऐलान

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नई दिल्ली,10 फरवरी। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब नाम बदलने की राजनीति फिर से चर्चा में आ गई है। मुस्तफाबाद से बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने ऐलान किया है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो इस इलाके का नाम बदलकर “शिव विहार” कर दिया जाएगा। यह बयान आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है और विपक्षी दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है।

नाम बदलने का क्या है कारण?

मोहन सिंह बिष्ट का कहना है कि मुस्तफाबाद का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व हिंदू पहचान से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसका नाम बदलकर शिव विहार रखना उचित होगा। उनका दावा है कि यह इलाका पहले से ही शिव भक्तों के केंद्र के रूप में जाना जाता है, और इसी कारण इसे एक सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा,
“हमारा लक्ष्य सिर्फ नाम बदलना नहीं, बल्कि इस क्षेत्र का विकास भी करना है। अगर बीजेपी सरकार बनाती है, तो मुस्तफाबाद को शिव विहार के रूप में एक नया स्वरूप दिया जाएगा, जिसमें बेहतर बुनियादी सुविधाएं भी शामिल होंगी।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

मोहन सिंह बिष्ट के इस ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

  • AAP का कहना है कि बीजेपी विकास के मुद्दों से भटकाकर धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि दिल्ली के लोगों को नाम बदलने से ज्यादा शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी सुविधाएं चाहिए।
  • कांग्रेस ने इसे बीजेपी की ‘बांटने की राजनीति’ करार दिया और कहा कि बीजेपी हर बार चुनाव जीतने के बाद इसी तरह के मुद्दे उठाकर जनता का ध्यान असली समस्याओं से हटाने की कोशिश करती है।
मुस्तफाबाद का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ

मुस्तफाबाद दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों में से एक मानी जाती है, और यहां पर विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं। इस क्षेत्र में कई धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक धरोहरें भी मौजूद हैं। 2019 के दिल्ली दंगों के दौरान यह इलाका सबसे अधिक प्रभावित हुआ था, इसलिए यहां पर सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।

हालांकि, इस इलाके में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय भी रहता है, खासकर शिव विहार कॉलोनी पहले से ही इस क्षेत्र का एक हिस्सा है। ऐसे में बीजेपी के विधायक का यह प्रस्ताव इसी धार्मिक पहचान को आगे बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

क्या वाकई बदला जा सकता है नाम?

किसी भी इलाके का नाम बदलने के लिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक होती है। चूंकि दिल्ली में सरकार आम आदमी पार्टी (AAP) की है, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि इस प्रस्ताव पर सरकार क्या रुख अपनाती है

अगर बीजेपी सरकार में आती है, तो इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, इस पर कानूनी और प्रशासनिक बाधाएं आ सकती हैं, क्योंकि किसी भी इलाके का नाम बदलने के लिए कई विभागों की मंजूरी लेनी पड़ती है।

निष्कर्ष

मोहन सिंह बिष्ट द्वारा मुस्तफाबाद का नाम बदलकर शिव विहार करने की घोषणा ने दिल्ली की राजनीति को गर्मा दिया है। जहां बीजेपी इसे संस्कृति और पहचान का मुद्दा बता रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार दे रहा है। अब यह देखना बाकी है कि यह सिर्फ चुनावी बयानबाजी है या वाकई इस पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।

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