भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरें बांधकर उन्हें विमान में चढ़ाया अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल चीफ माइकल बैंक ने अपने X हैंडल शेयर किया

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नई दिल्ली, 06 फरवरी। अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों को लेकर US मिलिट्री का C-17 प्लेन 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा।

इन लोगों के पैर में चेन बांधी गई थी, जबकि हाथ भी बेड़ियों में जकड़े हुए थे। अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल चीफ माइकल बैंक ने अपने X हैंडल पर इसका वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में भारतीयों के हाथों और पैरों में बेड़ियां साफ देखी जा सकती है।

टेक्सास के सेंट एंटोनियो एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने इन्हें ऐसी हालत में ही मिलिट्री प्लेन में चढ़ाया था। वहां से भारत आने के बीच 40 घंटे का सफर इन लोगों ने बेड़ियों में जकड़े हुए ही तय किया।

कुछ लोगों ने मीडिया को बताया कि उन्हें प्लेन में एक जगह बैठे रहने को कहा गया था। उन्हें वॉशरूम तक नहीं जाने दिया गया। जब लोगों ने बहुत जोर दिया तो प्लेन का क्रू अपने साथ वॉशरूम तक लेकर गया और दरवाजा खोलकर अंदर धकेल दिया।

लोगों ने बताया कि उन्हें बहुत थोड़ा सा खाना दिया गया, जिसे हाथ बांधकर ही खाना पड़ा। डिपोर्ट किए गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी थे। अमेरिका से भारत के बीच प्लेन ने चार जगह रीफ्यूलिंग के लिए स्टॉप लिया, लेकिन अंदर बैठे लोगों को प्लेन से निकलने की इजाजत नहीं थी।

पंजाब के 30 और हरियाणा-गुजरात के 33-33 लोग

प्लेन में पंजाब के 30, हरियाणा-गुजरात के 33-33 लोग शामिल थे। अमेरिका के 45 अफसर इन्हें भारत लेकर आए। 11 क्रू मेंबर भी साथ थे।

अमृतसर एयरपोर्ट के सुरक्षा अधिकारियों के बताया कि इन लोगों का वैरिफिकेशन करके इमिग्रेशन और कस्टम क्लियरेंस के बाद पंजाब पुलिस को सौंप दिया गया। इन 104 अवैध प्रवासी में से 48 की उम्र 25 साल से कम है। 13 नाबालिग हैं, जिनमें 4 साल का बच्चा भी है।

अमृतसर पहुंचने वाले पंजाब के लोगों को पुलिस की गाड़ियों से उनके घर भेजा गया। बाकी राज्यों के लोगों को फ्लाइट के जरिए भेजा गया। ये सभी अमेरिका समेत 20 देशों में कभी नहीं जा पाएंगे।

अमेरिका ने पहली बार सैन्य विमान भेजा यूएस मिलिट्री का यह विमान भारतीय समय के मुताबिक, 4 फरवरी की सुबह 3 बजे अमेरिका के सैन एंटोनियो रवाना हुआ था। यह पहली बार है जब अमेरिका ने अप्रवासियों को भेजने के लिए सैन्य विमान का इस्तेमाल किया। करीब साढ़े 3 घंटे बाद US एयरफोर्स विमान वापस लौट गया।

इससे पहले अलग-अलग रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अमेरिका ने कुल 205 अवैध भारतीयों को डिपोर्ट करने के लिए चिह्नित किया है। इन्हें भारत भेजा जाएगा। 186 भारतीयों को डिपोर्ट करने वाली लिस्ट भी सामने आई थी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बाकी बचे लोग कहां हैं और कब डिपोर्ट किए जाएंगे।

अवैध अप्रवासियों को क्यों निकाल रहे ट्रम्प

ट्रम्प ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन करके अवैध अप्रवासियों की एंट्री बैन करने और उन्हें पकड़ कर बॉर्डर पर छोड़ने की पॉलिसी का ऐलान किया था। ट्रम्प ने चुनाव कैंपने में भी अवैध अप्रवासियों को देश से निकालने का वादा किया था।

उन्होंने अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा डिपोर्टेशन करने को कहा था। ट्रम्प का मानना है कि दूसरे देशों से लोग अमेरिका में अवैध तरीके से घुसकर अपराध करते हैं। यहां नौकरियों के बड़े हिस्से पर अप्रवासियों का कब्जा है, इससे अमेरिकी लोगों को नौकरी नहीं मिलती।

ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले कानून ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर साइन किए। इस कानून के तहत फेडरल अधिकारियों को उन अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करने का अधिकार है, जो किसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

पीएम मोदी 12 फरवरी को अमेरिका जाएंगे अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फोर्समेंट के अनुसार 19 हजार अवैध प्रवासी भारतीय डिपोर्ट होंगे। ट्रम्प ने ये कार्रवाई ऐसे समय की है, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को दो दिन की यात्रा पर अमेरिका जाने वाले हैं। 13 फरवरी को पीएम की ट्रम्प के साथ वार्ता प्रस्तावित है।

वहीं पंजाब के NRI मामलों के मंत्री कुलदीप धालीवाल ने अमृतसर एयरपोर्ट जाकर पंजाब के डिपोर्ट लोगों से मुलाकात की। जिसके बाद उन्होंने कहा- PM नरेंद्र मोदी कहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प उनके दोस्त हैं। वे उनका प्रचार भी करने गए थे। वे ट्रम्प से मिलकर इसका हल निकालें।

अमेरिका समेत 20 देशों में कभी नहीं जा पाएंगे इन सभी के बायोमीट्रिक स्कैन लिए गए हैं। भविष्य में अगर ये वैध दस्तावेज पर भी अमेरिका जाने का प्रयास करेंगे तो वीजा नहीं मिलेगा। कनाडा, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन समेत 20 अन्य देशों में भी नहीं जा पाएंगे, क्योंकि अमेरिका की वीजा नीति करीब 20 देश फॉलो करते हैं।

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