वाशिंगटन , 5 फरवरी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को अपने सलाहकारों को निर्देश दिया कि अगर ईरान उनकी हत्या करता है तो उसे पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए। ट्रम्प का ये बयान मीडिया से बातचीत के दौरान आया। उस वक्त ट्रम्प ईरान पर दबाव डालने से जुड़े आदेश पर साइन कर रहे थे।
दरअसल पिछले साल नवंबर में अमेरिकी न्याय विभाग ने राष्ट्रपति चुनाव से पहले ईरान पर ट्रम्प की हत्या करने की साजिश का आरोप लगाया था। इसके मुताबिक सितंबर में ईरानी अधिकारियों ने फरहाद शाकेरी (51) को ट्रम्प की निगरानी करने और उनकी हत्या करने के लिए निर्देश दिए थे।
विभाग के मुताबिक इस साजिश को अमेरिकी एजेंसियों ने नाकाम कर दिया था।
ईरान पर प्रतिबंधों से जुड़े आदेश पर साइन किए डोनाल्ड ट्रम्प ने कार्यकारी आदेशों पर साइन कर ईरान के खिलाफ ‘अधिकतम दबाव’ अभियान को फिर से लागू कर दिया है।
इस आदेश के तहत अमेरिकी ट्रेजरी विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह ईरान पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इसमें विशेष रूप से उसके तेल निर्यात को निशाना बनाने के आदेश दिए गए हैं।
अमेरिकी सांसद भी ईरान पर और अधिक दबाव बनाने के पक्ष में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सीनेटर लिंडसे ग्राहम और जॉन फैटरमेन समेत कुछ सांसदों ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पेश किया। इसमें ईरान के परमाणु खतरे से निपटने के लिए सभी विकल्प खुले रहने चाहिए।
सुलेमानी की मौत का बदला लेने की धमकी दे चुका ईरान ईरान ने 2023 में ट्रम्प को मारने की धमकी दी थी। ईरान के रिवॉल्यूश्नरी गार्ड एयरोस्पेस फोर्स के हेड आमिर अली हाजीजादेह ने कहा था कि ईश्वर ने चाहा तो हम ट्रम्प को जरूर मारेंगे। हम उन सभी मिलिट्री कमांडर को मारना चाहते हैं, जो ईरानी सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या में शामिल थे।
दरअसल, 3 जनवरी 2020 को तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर उनकी सेना और CIA ने मिलकर ईरानी विशेष सेना के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी को मार दिया था। जनरल कासिम इराक और सीरिया में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ने के लिए चर्चित थे।
2019 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान को परमाणु संधि तोड़ने के लिए तबाही की धमकी दी थी, तो जनरल कासिम ने कहा था कि ट्रम्प ने युद्ध शुरू किया, तो खत्म हम करेंगे।
सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने भी बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर 7-8 जनवरी 2020 को हमले किए थे। उसने अमेरिकी सैन्य बेसों पर 22 मिसाइलें दागी थीं। ईरान ने दावा किया था कि इस हमले में अमेरिका के 80 सैनिक मारे गए थे।