नई दिल्ली, 30 जनवरी। महाराष्ट्र में आगामी बोर्ड परीक्षाओं से पहले बुर्का पहनकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर विवाद छिड़ गया है। राज्य सरकार में मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि परीक्षा हॉल में बुर्का पहनकर आने वाले छात्रों को प्रवेश न दिया जाए।
बुर्के पर प्रतिबंध की मांग क्यों?
भाजपा नेता नितेश राणे ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं छात्रों के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, और परीक्षा के दौरान पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक है। उनका तर्क है कि बुर्का पहनने से यह सुनिश्चित करना मुश्किल होगा कि छात्र परीक्षा के दौरान किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग न करें। उन्होंने आशंका जताई कि इससे अनुचित साधनों के उपयोग की संभावना बढ़ सकती है।
राजनीतिक विवाद और विरोध के स्वर
राणे की इस मांग ने महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। विपक्षी दलों और विभिन्न संगठनों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्री दादा भुसे, जो शिवसेना के नेता हैं और महायुति सरकार का हिस्सा हैं, ने अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
यह पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र में बुर्का या हिजाब को लेकर विवाद हुआ है। मुंबई के कुछ स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध के मामले पहले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। उस समय अदालत ने अस्थायी रूप से प्रतिबंध पर रोक लगाई थी और कहा था कि छात्रों को अपनी पसंद के कपड़े पहनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
आगे की राह
इस विवाद ने एक बार फिर भारत में शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड को लेकर बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग परीक्षा के दौरान कड़े नियमों का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई अन्य इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन मान रहे हैं। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या कोई औपचारिक निर्देश जारी किए जाते हैं।