जम्मू-कश्मीर, 29 जनवरी। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता उमर अब्दुल्ला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की तिरंगा रैली में स्कूली बच्चों को भेजने के आदेश देकर विवादों में घिर गए हैं। इस मामले को लेकर अब राजनीतिक घमासान तेज हो गया है।
पीडीपी का आरोप: विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने उमर अब्दुल्ला की सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस छात्रों को जबरन एबीवीपी के ‘वैचारिक कार्यक्रम’ में भेज रही है। महबूबा मुफ्ती की पार्टी ने इसे ‘शिक्षा का राजनीतिक इस्तेमाल’ करार दिया और कहा कि स्कूली बच्चों को किसी विशेष संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए मजबूर करना गलत है।
आदिवासी छात्रों की भी आपत्ति: पीडीपी के अलावा पुंछ जिले के आदिवासी छात्रों के एक प्रमुख संगठन ने भी इस मामले में जांच की मांग की है। संगठन का कहना है कि शिक्षा को किसी राजनीतिक विचारधारा के प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
गुरुवार, 23 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में एबीवीपी द्वारा तिरंगा रैली का आयोजन किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में स्कूली छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। इस रैली से ठीक एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जिले के शिक्षा विभाग को आदेश जारी कर छात्रों और शिक्षकों को इसमें शामिल होने का निर्देश दिया था।
पीडीपी ने इस आदेश को लेकर सवाल उठाए हैं और इसे छात्रों पर ‘विचारधारा थोपने’ की कोशिश बताया है। पार्टी ने कहा कि स्कूलों को शिक्षा के केंद्र के रूप में रखना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक संगठन के एजेंडे का हिस्सा बनाना चाहिए।
सरकार का बचाव
हालांकि, उमर अब्दुल्ला की सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि तिरंगा रैली देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित की गई थी और इसमें भागीदारी पूरी तरह स्वैच्छिक थी।
राजनीतिक माहौल गरमाया
इस घटना ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। पीडीपी और अन्य विपक्षी दल जहां इसे शिक्षा के राजनीतिकरण का मामला बता रहे हैं, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस इसे राष्ट्रभक्ति से जोड़ रही है।
अब देखना होगा कि इस विवाद पर प्रशासन क्या रुख अपनाता है और विपक्षी दल इस मुद्दे को आगे कितना भुनाने की कोशिश करते हैं।