मुंबई , 27 जनवरी। महाराष्ट्र के सोलापुर में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पहली मौत की बात सामने आई है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि शख्स पुणे में काम करता था और अपने घर सोलापुर गया था। उसके गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित होने का संदेह था।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 26 जनवरी तक GBS के 101 एक्टिव मरीज हैं। इसमें पुणे से 81 मरीज, पिंपरी चिंचवाड़ से 14 और 6 मरीज अन्य जिलों से हैं। इनमें 68 पुरूष और 33 महिला मरीज हैं। पुणे में 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
पुणे में 9 जनवरी को अस्पताल में भर्ती मरीज GBS पॉजिटिव आया था, ये पहला केस था। अब पुणे में एक्टिव केसों की संख्या 101 हो गई है। इनमें 19 मरीज 9 साल से कम उम्र के हैं। 50-80 साल की उम्र वाले 23 मरीज हैं।
सिंड्रोम की बड़ी वजह बैक्टीरिया, एडवाइजरी जारी
- सिंड्रोम का पहला मरीज 9 जनवरी को मिला था। टेस्ट में पता चला कि उसके सैंपल्स में कैंपीलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया था। यह बैक्टीरिया दुनियाभर में GBS के एक तिहाई केसों में पाया गया है।
- GBS के बढ़ते मामलों के बीत रविवार को अधिकारियों ने पुणे में पानी का सैंपल लिया। यहां कैंपीलोबैक्टर जेजुनी बैक्टिरिया मिलने की जानकारी नहीं आई है।
- उन्होंने बताया कि पुणे के मेन वाटर रिजरवॉयर खड़कवासला बांध के पास एक कुएं में बैक्टीरिया E कोली का लेवल बहुत हाई है।
- ये साफ नहीं है कि कुएं का इस्तेमाल जारी है या नहीं। अधिकारियों ने लोगों को सलाह दी है कि उबला हुआ पानी पिएं, ठंडा खाना खाने से बचें। गर्म भोजन ही करें।
- स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अब तक 25,578 घरों का सर्वे किया जा चुका है। अमूमन महीने भर में GBS के 2 मरीज ही सामने आते थे। अचानक ये नंबर बढ़ा है। घरों में सैंपल लिए जा रहे हैं।
इलाज महंगा, एक इंजेक्शन 20 हजार का
GBS का इलाज महंगा है। डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन के कोर्स करना होता है। निजी अस्पताल में इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए है।
पुणे के अस्पताल में भर्ती 68 साल के मरीज के परिजनों ने बताया कि इलाज के दौरान उनके मरीज को 13 इंजेक्शन लगाने पड़े थे।