नई दिल्ली,23 जनवरी। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। नई दिल्ली विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है। दोनों नेता अपनी-अपनी पार्टी के दिग्गज चेहरे हैं, और यह सीट अब न केवल राजनीतिक बल्कि व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।
नई दिल्ली सीट का महत्व
नई दिल्ली विधानसभा सीट राजधानी की सबसे हाई-प्रोफाइल सीटों में से एक है। यह वही सीट है, जहां से अरविंद केजरीवाल पिछले तीन बार से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने हैं। 2013, 2015 और 2020 के चुनावों में केजरीवाल ने इस सीट पर भारी बहुमत से जीत हासिल की थी।
हालांकि, इस बार भाजपा ने अपने प्रमुख चेहरे प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। प्रवेश वर्मा, जो पश्चिमी दिल्ली से सांसद हैं और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, एक अनुभवी और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं।
अरविंद केजरीवाल का मजबूत पक्ष
अरविंद केजरीवाल का नाम नई दिल्ली सीट के साथ पूरी तरह जुड़ा हुआ है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी छवि एक ‘आम आदमी’ की रही है। उन्होंने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, और पानी जैसे बुनियादी मुद्दों पर जोर दिया है।
‘मोहल्ला क्लीनिक’, मुफ्त बिजली और पानी, और सरकारी स्कूलों में सुधार उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियां मानी जाती हैं। नई दिल्ली सीट पर उनके लिए जनता का भरोसा और उनका “आम आदमी” वाला व्यक्तित्व सबसे बड़ा हथियार है।
प्रवेश वर्मा की चुनौती
भाजपा ने इस बार अरविंद केजरीवाल को कड़ी चुनौती देने के लिए प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है। वर्मा एक आक्रामक नेता के तौर पर जाने जाते हैं और उनकी छवि जमीनी स्तर पर जुड़ाव रखने वाले नेता की है।
वर्मा ने केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार और झूठे वादे करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने खासतौर पर पानी की गुणवत्ता, कचरे की समस्या, और दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों पर आप सरकार को घेरा है। उनका कहना है कि केजरीवाल सरकार ने जनता को गुमराह किया और विकास के नाम पर कुछ खास नहीं किया।
किसका पलड़ा भारी?
इस बार का मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है। अरविंद केजरीवाल के पास अपने पिछले कार्यकाल की उपलब्धियां हैं, लेकिन प्रवेश वर्मा ने जिन मुद्दों को उठाया है, वे नई दिल्ली के वोटरों को प्रभावित कर सकते हैं।
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए आसान नहीं होगा। भाजपा ने पूरी ताकत के साथ इस सीट पर चुनाव प्रचार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस सीट को खास तवज्जो दी है।
हालांकि, केजरीवाल के पक्ष में एक बड़ा वर्ग अभी भी मजबूती से खड़ा है, खासकर वह मतदाता जो ‘फ्री बिजली-पानी’ और शिक्षा-स्वास्थ्य में सुधार से संतुष्ट हैं।
जनता की राय
नई दिल्ली सीट के मतदाताओं में इस बार अलग-अलग राय देखने को मिल रही है। एक ओर केजरीवाल समर्थकों का कहना है कि उन्होंने दिल्ली के विकास के लिए ठोस काम किया है। वहीं, भाजपा समर्थकों का मानना है कि अब बदलाव की जरूरत है और प्रवेश वर्मा नई ऊर्जा और दृष्टि के साथ काम करेंगे।
निष्कर्ष
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव न केवल कांटे का मुकाबला है, बल्कि यह तय करेगा कि राजधानी में जनता का विश्वास किसके साथ है। केजरीवाल के लिए यह चुनाव उनकी लोकप्रियता और सरकार की नीतियों का जनमत संग्रह है, वहीं प्रवेश वर्मा के लिए यह अपने राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी चुनौती है।
5 फरवरी 2025 को होने वाले चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे कि नई दिल्ली की जनता किसे अपना नेता चुनती है। फिलहाल, सभी की नजरें इस हाई-प्रोफाइल सीट पर टिकी हैं।