भारत के खिलाफ मुस्लिम देशों से मदद मांग रहा बांग्लादेश: युनुस सरकार और सैन्य शक्ति पर सवाल

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नई दिल्ली,23 जनवरी। बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने दक्षिण एशिया की कूटनीति और स्थिरता पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की मौजूदा युनुस सरकार ने भारत के खिलाफ मुस्लिम देशों से समर्थन की अपील की है। इस कदम को क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी संबंधों के लिए चिंताजनक माना जा रहा है।

मुस्लिम देशों से मदद की अपील

खबरों के मुताबिक, बांग्लादेश सरकार ने मुस्लिम देशों से भारत के खिलाफ समर्थन मांगा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय मामलों में भारत के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देना है। यह अपील तब की गई है जब बांग्लादेश और भारत के बीच हाल के वर्षों में जल बंटवारा, सीमा सुरक्षा और शरणार्थी मुद्दों पर मतभेद बढ़े हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि युनुस सरकार का यह कदम देश के आंतरिक राजनीतिक असंतोष को कवर करने और मुस्लिम देशों के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को अलग-थलग करने की कोशिश का हिस्सा हो सकता है।

सैन्य शक्ति को और अधिकार देने की योजना

बांग्लादेश में एक और अहम बदलाव देखने को मिल रहा है – सरकार ने सैन्य बलों को अधिक अधिकार देने की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि देश में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के बीच, युनुस सरकार सेना को एक प्रमुख भूमिका में लाकर सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।

सैन्य हस्तक्षेप को बढ़ाने की यह योजना बांग्लादेश की लोकतांत्रिक परंपराओं और मौलिक अधिकारों के लिए एक बड़ा खतरा मानी जा रही है। कई विशेषज्ञ इसे देश में नागरिक स्वतंत्रता के दमन और लोकतांत्रिक मूल्यों के ह्रास के रूप में देख रहे हैं।

युनुस सरकार के फैसलों पर बढ़ रही है आलोचना

युनुस सरकार की इन नीतियों को लेकर न केवल विपक्षी दल बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी आलोचना कर रहा है। भारत ने इन प्रयासों को “अस्थिरता फैलाने वाला कदम” करार दिया है और कहा है कि क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करने के बजाय इस तरह की नीतियां तनाव को बढ़ावा देंगी।

अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे वैश्विक संगठन भी बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघन और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव

बांग्लादेश का यह कदम न केवल भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। मुस्लिम देशों के साथ भारत के कूटनीतिक संबंध मजबूत हो रहे हैं, और इस पर बांग्लादेश का यह कदम उस संतुलन को बाधित कर सकता है।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने अभी तक बांग्लादेश के इन कूटनीतिक प्रयासों पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि भारत इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और अपने हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगा।

निष्कर्ष

बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक रणनीति और भारत के खिलाफ सहयोग मांगने की कोशिश दक्षिण एशिया में एक नए भू-राजनीतिक अध्याय की शुरुआत कर सकती है। इस पर मुस्लिम देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया आने वाले दिनों में इस मुद्दे को और स्पष्ट करेगी।

भारत और बांग्लादेश के बीच शांति और सहयोग को बहाल करना क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक है। हालांकि, युनुस सरकार की ये नीतियां इन प्रयासों को बाधित कर सकती हैं और दोनों देशों के संबंधों को एक मुश्किल दौर में ले जा सकती हैं।

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