कलकत्ता हाईकोर्ट रेप-मर्डर के दोषी और पीड़ित परिवार को सुनेगा

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कलकत्ता ,22 जनवरी। आरजी कर रेप-मर्डर केस में दोषी संजय रॉय की सजा के खिलाफ बंगाल सरकार की अपील पर फैसला करने से पहले कलकत्ता हाईकोर्ट दोषी संजय, पीड़ित परिवार और CBI को सुनेगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि बंगाल सरकार की याचिका मंजूर करने से पहले हम इन पक्षों की बात सुनेंगे। सुनवाई 27 जनवरी को होगी।

बंगाल सरकार ने अपील में कहा था कि संजय रॉय ने जो अपराध किया है, उसके लिए उम्रकैद पर्याप्त नहीं है। बंगाल सरकार ने याचिका में फांसी की मांग की है।

सियालदह कोर्ट ने 20 जनवरी को संजय को मरते दम तक उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जस्टिस अनिर्बान दास ने कहा था कि यह मामला रेयरस्ट ऑफ रेयर कैटेगरी में नहीं आता इसलिए फांसी की सजा नहीं दी गई है।

CBI ने बंगाल सरकार की याचिका का विरोध किया हाईकोर्ट में जस्टिस देबांगशु बसक और जस्टिस मो. शब्बार राशिदी की बेंच के सामने CBI के वकील ने बंगाल सरकार के याचिका दाखिल करने के अधिकार का विरोध किया। CBI के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल राजदीप मजूमदार ने कहा कि बंगाल सरकार के पास याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है।

उन्होंने दावा किया कि जांच एजेंसी CBI थी, एजेंसी के पास ही यह अधिकार है कि वो सजा पर्याप्त न होने के आधार पर याचिका दाखिल करे। CBI ने ट्रायल कोर्ट के सामने भी फांसी की सजा देने की अपील की थी।

बंगाल सरकार बोली- शुरुआती जांच कोलकाता पुलिस ने की बंगाल सरकार के एडवोकेट जनरल किशोर दत्त ने कहा कि प्रॉसीक्यूशन एजेंसी, फैमिली, दोषी के अलावा राज्य भी सजा को लेकर अपील कर सकता है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में कोलकाता पुलिस केस की जांच कर रही थी। 13 अगस्त 2024 को यह केस CBI को सौंपा गया।

घटना के 164वें दिन दोषी को सजा थी मिली सियालदह कोर्ट ने 18 जनवरी को संजय को दोषी ठहराया था। घटना के 164वें दिन (20 जनवरी) सजा पर 160 पेज का फैसला सुनाया था। CBI और पीड़ित परिवार ने मौत की सजा मांगी थी।

मौत की सजा क्यों नहीं मिली, दोषी संजय की वकील ने बताया

  • संजय रॉय की वकील सेनजुति चक्रवर्ती ने दैनिक भास्कर को बताया, ‘हमने कोर्ट से डेथ पेनल्टी की सजा सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का ध्यान रखने की दलील रखी थी। डेथ पेनल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है, जिसमें बताया गया है कि किस-किस केस में डेथ पेनल्टी होना चाहिए और किस-किस केस में इससे बचना चाहिए।”
  • ”सुप्रीम कोर्ट कहता है कि जब किसी व्यक्ति के रिहैबिलिटेशन, करेक्शन यानी सुधरने की संभावना होती है, तो उस वक्त अदालत को डेथ पेनल्टी देने से बचना चाहिए। डेथ पेनल्टी तभी देना चाहिए जब दोषी के सुधरने की कोई संभावना ही ना हो।”
  • ”यह मामला रेयरेस्ट और रेयर मामला है या नहीं, ये हमने कोर्ट के ऊपर ही छोड़ दिया था। आज हमने कोर्ट में दलील दी और कहा कि दोषी के सुधार की संभावना है और इस केस में ऐसा कोई सबूत नहीं आया कि दोषी को डेथ पेनल्टी दी जाए।”
  • ”सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन यह भी कहती है कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मामले में जो भी सबूत आए हैं, उसके अलावा भी कुछ चीजें कोर्ट तक न पहुंच पाती हैं या किसी कारण से कुछ तथ्य छूट जाते हैं। ऐसे में किसी को डेथ पेनल्टी देने से बचा जाता है।”

पीड़ित की फैमिली हाथ जोड़कर बोली- मुआवजा नहीं चाहिए जज ने कहा कि पीड़ित की मौत ड्यूटी के दौरान अस्पताल में हुई थी। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो पीड़ित की फैमिली को मुआवजा दे। कोर्ट ने डॉक्टर की मौत के लिए 10 लाख और रेप के लिए 7 लाख मुआवजा तय किया। कोर्ट में मौजूद ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने हाथ जोड़कर कहा कि हमें मुआवजा नहीं, न्याय चाहिए।

इस पर जज ने कहा- मैंने कानून के मुताबिक यह मुआवजा तय किया है। आप इसका इस्तेमाल चाहे जैसे कर सकते हैं। इस रकम को अपनी बेटी के रेप और मर्डर के मुआवजे के तौर पर मत देखिए।

पीड़ित के पेरेंट्स ने कही थी फैसले के खिलाफ जाने की बात 20 जनवरी को ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने कहा था कि वे दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के सेशन कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस क्यों नहीं है। परिवार ने दावा किया है कि जांच ठीक से नहीं की गई। कई लोगों को बचाया गया। सेशन कोर्ट से फैसले की कॉपी मिलने के बाद हम हाईकोर्ट जाएंगे। ​​​​​

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