नई दिल्ली,22 जनवरी। दिल्ली दंगों के आरोपी और विधानसभा चुनाव में AIMIM कैंडिडेट ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में सहमति नहीं बन सकी।
बुधवार को हुई सुनवाई में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ताहिर को जमानत देने के पक्ष में थे, जबकि जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका खारिज कर दी। अब 3 जजों की बेंच बेल पर सुनवाई करेगी।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि यह जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है, इसलिए रोज सुनवाई की जा रही है। उन्होंने अंतरिम जमानत देने का विरोध कर रही पुलिस से भी सवाल किए।
जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि ताहिर की याचिका स्वीकार करने पर एक नई प्रथा की शुरुआत हो जाएगी। विचाराधीन कैदी चुनाव में खड़े हो जाएंगे और चुनाव लड़ने या प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग करेंगे। सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ की भी संभावना है।
4 साल 9 महीने से जेल में बंद ताहिर हुसैन को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद से कैंडिडेट बनाया है। उन्होंने दिल्ली चुनाव लड़ने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई है।
इससे पहले मामले पर 20 जनवरी को भी सुनवाई हुई थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी
ताहिर पर दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी 2020 को IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने का आरोप है। ताहिर ने चुनाव प्रचार के लिए हाईकोर्ट से 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत मांगी थी। 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि नामांकन जेल से भी भरा जा सकता है।
इस पर ताहिर की वकील तारा नरूला ने तर्क दिया कि इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उनके खिलाफ टेरर फंडिंग का भी मामला चल रहा है।
ताहिर को एक राष्ट्रीय पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। वे अपनी सभी संपत्तियों का विवरण देने को तैयार हैं। उन्हें अपने लिए एक प्रस्तावक भी खोजना है और दिल्ली में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
मामले में ट्रायल शुरू हो चुका है और अब तक 114 गवाहों में से 20 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। ऐसे में ट्रायल जल्द पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ताहिर 4 साल 9 महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है।
हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को ताहिर की कस्टडी पेरोल मंजूर की थी। 16 जनवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच ताहिर तिहाड़ जेल से बाहर आए और नामांकन भरने के बाद वापस जेल चले गए थे। इसके बाद ताहिर जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका खारिज कर दी।