नई दिल्ली,20 जनवरी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भाषा और व्यवहार में हाल के दिनों में जो गिरावट देखी जा रही है, वह इस बात का संकेत है कि उन्हें अपनी हार का आभास हो चुका है। जनता के आक्रोश और विरोध के कारण केजरीवाल अब दिल्ली की सड़कों पर प्रचार करने से भी कतराते नजर आ रहे हैं।
महरौली में जनता ने केजरीवाल को प्रचार करने से रोका
कल महरौली में प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल को जनता के प्रचंड विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने उन्हें उनकी गाड़ी से उतरने तक नहीं दिया, जिससे उन्हें वहां से भागने पर मजबूर होना पड़ा। यह घटना बताती है कि दिल्ली की जनता अब उनकी नीतियों और आश्वासनों से थक चुकी है।
12 से अधिक स्थानों पर विरोध का सामना
यह केवल महरौली तक सीमित नहीं है। अब तक दिल्ली में 12 से अधिक स्थानों पर केजरीवाल को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा है। हर जगह उनकी रैलियों और कार्यक्रमों में आम लोगों का विरोध इस बात का प्रमाण है कि पिछले 10 वर्षों में किए गए उनके लुभावने वादों का कोई असर धरातल पर नहीं दिखा।
आश्वासनों का चूरन बेचने का आरोप
दिल्ली के लोग अब अरविंद केजरीवाल की सरकार पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। उनके खिलाफ यह गुस्सा इस बात का नतीजा है कि उन्होंने केवल झूठे वादे और आश्वासनों का चूरन बेचा, लेकिन धरातल पर किसी भी वादे को पूरा नहीं किया। चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो या बिजली-पानी की योजनाएं—कहीं भी जनता को वास्तविक लाभ नहीं मिला।
जनता का प्रचंड आक्रोश और बदलाव की तैयारी
दिल्ली में हर वर्ग के लोगों में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के प्रति जबरदस्त गुस्सा है। यह स्पष्ट है कि इस बार जनता बदलाव के मूड में है। सोशल मीडिया पर भी “खुजलीवाल” जैसे उपनामों से उनका मजाक उड़ाया जा रहा है, जो बताता है कि उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है।
निष्कर्ष
दिल्ली की जनता अब केजरीवाल और उनकी पार्टी से पूरी तरह से निराश हो चुकी है। उनकी सरकार को लेकर बढ़ता आक्रोश और जनता के विरोध प्रदर्शन यह दर्शाते हैं कि इस बार केजरीवाल की हार तय है। लोगों का कहना है कि इस बार वह झूठे वादों और लुभावने प्रचारों से नहीं बल्कि वास्तविक काम और जनहित की नीतियों पर वोट देंगे।