राजस्थान,18 जनवरी। राजस्थान सरकार ने हाल ही में राज्य में शून्य या न्यून नामांकन वाले सरकारी स्कूलों को बंद कर उन्हें निकटवर्ती स्कूलों में मर्ज करने का निर्णय लिया है। पिछले 10 दिनों में, इस प्रक्रिया के तहत 450 से अधिक स्कूलों को बंद किया गया है।
260 सरकारी स्कूलों का बंद होना
गुरुवार देर रात, माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने प्रदेशभर में 260 सरकारी स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी किया। इनमें से 200 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल थे, जिनमें छात्र नामांकन शून्य था। इन स्कूलों को पास के सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में मर्ज किया गया है। इसके अतिरिक्त, 35 ऐसे स्कूल भी बंद किए गए हैं जहां छात्रों की संख्या कम थी।
पहले चरण में 190 स्कूलों का बंद होना
करीब 10 दिन पहले, राज्य सरकार ने 190 स्कूलों को बंद किया था। इनमें से 169 स्कूलों में एक भी छात्र नामांकित नहीं था। इन स्कूलों को भी निकटवर्ती स्कूलों में मर्ज किया गया था।
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थिति
राज्य सरकार ने अंग्रेजी माध्यम के महात्मा गांधी स्कूलों की समीक्षा के लिए मंत्रियों की एक कमेटी बनाई थी। अब तक, इस कमेटी ने कोई सिफारिश नहीं की है, जिसके कारण राज्यभर में एक भी अंग्रेजी माध्यम स्कूल बंद नहीं किया गया है। इसके विपरीत, हिंदी माध्यम के 450 से अधिक स्कूल बंद हो चुके हैं।
समाज में प्रतिक्रिया
स्कूलों के इस विलय से समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे शिक्षा के केंद्रीकरण और संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे स्थानीय स्तर पर शिक्षा की पहुंच में बाधा के रूप में देखते हैं। विशेष रूप से, बालिका विद्यालयों के बॉयज स्कूलों में मर्ज होने से माता-पिता में चिंता बढ़ी है।
निष्कर्ष
राजस्थान में सरकारी स्कूलों का यह विलय शिक्षा प्रणाली में सुधार और संसाधनों के प्रभावी उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस प्रक्रिया से छात्रों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े और सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ हो।