बांग्लादेश ,18 जनवरी। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर उन्हें मारने की साजिश का आरोप लगाया है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक हसीना की पार्टी अवामी लीग ने उनका ऑडियो क्लिप जारी किया है। इसमें हसीना ने बताया कि कैसे वे और उनकी बहन पिछले साल अगस्त में जान बचाकर देश से भागीं थी।
उन्होंने दावा किया कि 5 अगस्त को मौत उनसे सिर्फ 20-25 मिनट दूर थी। क्लिप में हसीना रोते हुए यह कहते सुनाई दे रही हैं-
शेख हसीना ने आगे कहा कि 2000 के कोटालीपारा में हुए बम विस्फोट में मेरा बचना, 21 अगस्त 2004 के हमले से बचना और 5 अगस्त 2024 को बच जाना, इस सब के पीछे अल्लाह की मर्जी है। ऐसा नहीं होता तो मैं बच नहीं पाती।
इन 3 हादसों में बची हसीना की जान
- साल 2000 में शेख हसीना को बांग्लादेश के कोटालीपारा में एक कॉलेज प्रोग्राम में जाना था, लेकिन यहां उनके पहुंचने से पहले 76 किलो का बम मिला था।
- 21 अगस्त 2004 को ढाका में उन पर ग्रेनेड से हमला किया था, इस हमले में 24 लोगों की मौत हो गई थी।
- 5 अगस्त 2024 को हिंसक क्रांति के बाद हसीना का तख्तापलट कर दिया गया, जिसके बाद वो अपनी बहन के साथ भारत आ गईं।
हसीना का पासपोर्ट रद्द, गिरफ्तारी वारंट जारी बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी यूनुस सरकार ने हसीना पर हत्या, अपहरण से लेकर देशद्रोह के 225 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। वहीं, बांग्लादेशी सरकार ने चेतावनी दी है कि भारत में रहते हुए हसीना की तरफ से दिए जा रहे बयान दोनों देशों के संबंध बिगाड़ रहे हैं।
बांग्लादेश सरकार जुलाई में हुई हत्याओं की वजह से शेख हसीना का पासपोर्ट भी रद्द कर दिया है। वहीं बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। ट्रिब्यूनल ने हसीना को 12 फरवरी तक पेश होने का निर्देश दिया है।
बांग्लादेश भारत से हसीना को डिपोर्ट करने की अपील भी कर चुका है। हालांकि, भारत सरकार उनका वीजा बढ़ा चुकी है, जिससे यह साफ हो गया कि उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट नहीं किया जाएगा।
आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट पिछले साल बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इस आरक्षण के खिलाफ ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था।
हसीना की सरकार ने जैसे ही यह आरक्षण खत्म किया तो इसके बाद छात्रों उनके इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग हसीना और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए।
इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं।