नई दिल्ली,14 जनवरी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई कड़े फैसले लिए हैं, जो न केवल उनके नेतृत्व को परिभाषित करते हैं, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित करते हैं। चाहे वह संभल का विवाद हो या वक्फ बोर्ड की नियुक्तियाँ, योगी आदित्यनाथ ने हमेशा अपनी नीतियों और दृष्टिकोण के साथ समझौता करने से मना किया है। उनकी कार्यशैली में स्पष्टता और दृढ़ता नज़र आती है, और उन्होंने हमेशा अपनी तय की हुई लाइन पर बिना किसी समझौते के चलने की प्रतिबद्धता दिखाई है।
संभल में अयोध्या के मामले पर कड़ा रुख
संभल में एक घटना ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचाई थी, जब अयोध्या के मुद्दे पर कुछ विरोधी बयान सामने आए। प्रदेश में इस विवाद को लेकर धार्मिक भावनाएँ भड़कने लगीं और कुछ लोग इसका फायदा उठाने की कोशिश करने लगे। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने बिना समय गवाए इस पर स्पष्ट और कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने इस मुद्दे पर किसी प्रकार के समझौते या लचीलापन को खारिज करते हुए कहा कि उनके प्रशासन का उद्देश्य केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखना है, और किसी भी प्रकार की धार्मिक भावना को भड़कने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।
योगी आदित्यनाथ के इस फैसले ने साबित कर दिया कि वह अपनी राजनीतिक लाइन से एक इंच भी पीछे नहीं हटने वाले हैं। उन्होंने यह दिखाया कि जब बात प्रदेश के सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव की आती है, तो वह किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे। इस मामले में उनके फैसले ने न केवल राज्य के कानून-व्यवस्था को मज़बूती दी, बल्कि उनकी राजनीतिक छवि को