चिराग पासवान की पार्टी के नेता के घर ED की रेड, तीन शहरों में छापेमारी

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नई दिल्ली,27 दिसंबर। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और बिहार के चर्चित राजनेता हुलास पांडे के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। यह छापेमारी एक साथ तीन शहरों—पटना, दिल्ली और बेंगलुरु में की गई। यह कार्रवाई कथित आर्थिक अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को लेकर की गई है।

कार्रवाई का केंद्र हुलास पांडे

हुलास पांडे चिराग पासवान की पार्टी के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं और उनकी छवि एक बड़े व्यवसायी की भी है। ED ने उनके घर, दफ्तर और अन्य संपत्तियों पर छापा मारकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। जांच एजेंसी को उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय गड़बड़ियों में शामिल होने के सबूत मिलने की आशंका है।

तीन शहरों में एक साथ कार्रवाई

यह छापेमारी एक सुनियोजित अभियान के तहत की गई। पटना में उनके घर और कार्यालय पर रेड डाली गई, जबकि दिल्ली और बेंगलुरु में उनके व्यापारिक ठिकानों पर कार्रवाई हुई। सूत्रों के अनुसार, ED को कुछ संदिग्ध लेन-देन और संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है।

राजनीतिक हलचल तेज

इस कार्रवाई के बाद बिहार की राजनीति में खलबली मच गई है। चिराग पासवान की पार्टी के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि हुलास पांडे पार्टी के प्रमुख नेताओं में शामिल हैं। विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक कार्रवाई बताया है, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे कानून के तहत लिया गया कदम करार दिया है।

हुलास पांडे की सफाई

हुलास पांडे ने इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि वे सभी आरोपों का कानूनी तरीके से सामना करेंगे और उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि यह कार्रवाई उन्हें बदनाम करने की साजिश है।

ED की जांच और आगे की कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय ने फिलहाल इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि यह कार्रवाई कुछ अहम सुरागों के आधार पर की गई है। एजेंसी जल्द ही इस मामले में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक कर सकती है।

बिहार की राजनीति में नया मोड़

हुलास पांडे के खिलाफ ED की यह कार्रवाई बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग पासवान और उनकी पार्टी इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और इसका आगामी चुनावी समीकरणों पर क्या असर पड़ता है।

यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि राजनीति और आर्थिक गड़बड़ियों के बीच का संबंध किस तरह से जांच एजेंसियों के रडार पर रहता है। अब यह जांच बताएगी कि हुलास पांडे के खिलाफ लगाए गए आरोप कितने गंभीर हैं और इससे उनकी राजनीतिक और व्यावसायिक छवि पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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