जीएसटी सुधार: मोदी सरकार की कर कटौती ने कैसे साधारण वस्तुओं पर पिछले शासन को पीछे छोड़ा

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नई दिल्ली,26 दिसंबर। वस्तु और सेवा कर (GST) के सुधार, जो 2017 में लागू हुए, समय के साथ कई संशोधनों के साक्षी रहे हैं। पहले Revenue Neutral Rate (RNR) को 15.3% तय किया गया था, लेकिन मोदी सरकार द्वारा किए गए कई कर कटौतियों के चलते अब यह 11.6% पर आ गया है। यह 25% की उल्लेखनीय कमी, आम नागरिकों पर कर का भार कम करने और रोजमर्रा की वस्तुओं को सस्ता बनाने की सरकार की प्राथमिकता को दर्शाती है।

जीएसटी दरों में बदलाव: पिछली और वर्तमान सरकारों का तुलनात्मक विश्लेषण

1. सैनिटरी पैड्स पर कर में छूट:
मनमोहन सिंह के शासनकाल में सैनिटरी पैड्स पर 13% कर लगाया जाता था, जबकि मोदी सरकार ने इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया (0%)। यह कदम महिलाओं के लिए स्वच्छता और समानता के प्रति प्रगतिशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।

2. घरेलू उपकरण और पेंट:
पेंट, फुटवियर, टीवी, रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन जैसी वस्तुओं पर मनमोहन सिंह सरकार के तहत 18-30% तक कर लगाया जाता था। मोदी सरकार ने इसे घटाकर 18% कर दिया, जिससे ये वस्तुएं मध्यम वर्ग के लिए अधिक सुलभ हो गईं।

3. रेस्त्रां सेवाओं पर राहत:
रेस्त्रां सेवाओं पर मनमोहन सिंह सरकार के समय 21% कर लगाया जाता था, जिसे मोदी सरकार ने घटाकर 5% कर दिया। यह कटौती खासतौर पर महामारी के बाद आतिथ्य क्षेत्र और उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत साबित हुई।

4. व्यक्तिगत देखभाल और खाद्य वस्तुएं:
शैम्पू, डिटर्जेंट, टूथपेस्ट, कॉफी, चॉकलेट और मिठाइयों जैसी सामान्य वस्तुओं पर 30% कर लगाया जाता था, जिसे अब 18% कर दिया गया है। खनिज जल और सौंदर्य प्रसाधनों पर भी कर दरें कम की गई हैं।

5. कृषि क्षेत्र में समर्थन:
मोदी सरकार ने उर्वरकों और यूरिया पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी है। यह कदम किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

6. लक्जरी और अन्य वस्तुएं:
प्लाईवुड, सैनिटरी वेयर और अन्य लक्जरी वस्तुएं, जो पहले 30% कर के दायरे में थीं, अब 18% कर दर पर आती हैं।

मोदी सरकार की कर नीति में रणनीतिक बदलाव

जीएसटी दरों में कमी से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि हुई है, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज हुई हैं।

  • मध्यम वर्ग को राहत:
    कर में कटौती ने मध्यम वर्ग के वित्तीय दबाव को कम किया है, जो भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
  • उपभोग में वृद्धि:
    कम कर दरों ने रोजमर्रा की वस्तुओं को अधिक किफायती बनाया, जिससे मांग में इजाफा हुआ।
  • छोटे व्यवसायों को सहयोग:
    कर भार में कमी ने छोटे और मझोले उद्योगों को राहत दी, जिससे वे अधिक प्रतिस्पर्धी बन सके।

समाज पर सकारात्मक प्रभाव

1. महिला सशक्तिकरण:
सैनिटरी पैड्स पर कर हटाने का सीधा लाभ महिलाओं को हुआ, जिससे स्वच्छता उत्पादों की पहुंच बढ़ी।

2. किसान केंद्रित दृष्टिकोण:
कृषि इनपुट्स पर कर में कटौती ने किसानों की लागत को कम किया और कृषि उत्पादन को प्रोत्साहित किया।

3. मध्यम वर्ग के लिए सुलभता:
घरेलू उपयोग की वस्तुओं पर कर दर घटाने से मध्यम वर्गीय परिवारों को वित्तीय राहत मिली।

निष्कर्ष

जीएसटी सुधारों के तहत 25% की कर कटौती ने मोदी सरकार की नीतियों को आम आदमी के प्रति अधिक समर्पित और समावेशी बना दिया है।
जबकि आलोचकों का कहना है कि कर संग्रह पर इसका प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन उपभोग में वृद्धि और अर्थव्यवस्था पर इसके सकारात्मक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

मोदी सरकार की ये नीतियां यह सुनिश्चित करती हैं कि जीएसटी सुधारों का लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचे। यह नीति न केवल आर्थिक संतुलन बनाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सरकार कैसे विकास और समावेशिता के बीच सामंजस्य स्थापित कर रही है।

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