नई दिल्ली,24 दिसंबर। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस बार कांग्रेस पार्टी भी एक मजबूत रणनीति के तहत मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक हाल ही में हुई, जिसमें पार्टी ने आगामी चुनाव के लिए अपनी रणनीति को लेकर चर्चा की। बैठक में 35 विधानसभा सीटों पर चर्चा की गई, जो कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। इस बैठक के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी और कांग्रेस नेता अलका लांबा के बीच भी राजनीति को लेकर कुछ खास चर्चाएँ हुईं, जो अब दिल्ली की राजनीति में तूल पकड़ रही हैं।
कांग्रेस की CEC बैठक में चर्चा
कांग्रेस के CEC की बैठक में दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया। पार्टी ने 35 सीटों को अपनी प्राथमिकता में रखा है, जिनकी जीत को लेकर खास ध्यान दिया जाएगा। इन सीटों का चयन पार्टी के नेताओं ने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति और पिछले चुनावों के नतीजों को ध्यान में रखते हुए किया है। कांग्रेस का लक्ष्य इस बार बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) को कड़ी टक्कर देना है, और इन 35 सीटों पर अपना जोरदार प्रदर्शन करना है।
आतिशी और अलका लांबा के बीच मंथन
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और कांग्रेस नेता अलका लांबा के बीच संवाद पर भी बैठक के दौरान चर्चा हुई। आलम यह है कि आतिशी के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जबकि अलका लांबा, जो पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर दिल्ली विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं, अब पार्टी के चुनावी रणनीतियों पर विचार कर रही हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच भविष्य में किस प्रकार की भूमिका निभाई जाएगी, यह सवाल इस बैठक के दौरान उठा।
अलका लांबा ने अपनी पार्टी के रणनीतिक फैसलों पर सवाल उठाए थे और यह भी सुझाव दिया कि कांग्रेस को दिल्ली में अपने चुनावी दांव को फिर से मजबूत करने के लिए एक नई दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। वहीं, आतिशी ने अपने सरकार के कार्यों को लेकर कांग्रेस नेताओं को अधिक जानकारी दी और यह जताया कि दिल्ली की जनता का विश्वास पार्टी की योजनाओं पर है।
दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस की चुनौती
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती भाजपा और आम आदमी पार्टी से मुकाबला करना है। भाजपा के पास केंद्र में सरकार होने के कारण राज्य की राजनीति में भी उसकी पकड़ मजबूत है, जबकि आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपनी मजबूत स्थिति बनाए हुए है। कांग्रेस को अपनी पुरानी खोई हुई ताकत को वापस लाने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
कांग्रेस के लिए यह चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक योजनाओं के क्षेत्र में काफी सुधार किए हैं, जिसका असर दिल्ली की जनता पर पड़ा है। वहीं, भाजपा भी केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों को लेकर अपनी लोकप्रियता बनाए हुए है।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस पार्टी के लिए अगला कदम यह होगा कि वह दिल्ली में अपनी छवि को फिर से मजबूत बनाए। पार्टी का मुख्य उद्देश्य 35 सीटों में से अधिकतम सीटों पर जीत हासिल करना है। इसके लिए पार्टी नेतृत्व दिल्ली में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने के लिए चुनावी अभियान की शुरुआत जल्द ही करने की योजना बना रही है। साथ ही पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि उन सीटों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जहां पार्टी ने पिछली बार अच्छा प्रदर्शन किया था, या फिर जहां भाजपा और आप के बीच सीधी टक्कर हो सकती है।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक में 35 सीटों को लेकर हुई चर्चा यह दर्शाती है कि पार्टी चुनावों में अपना पूरा जोर लगाने की योजना बना रही है। आतिशी और अलका लांबा जैसे नेता अपनी रणनीतिक भूमिका निभाते हुए पार्टी को मजबूती देने में लगे हैं। कांग्रेस की कोशिश यह होगी कि वह दिल्ली की राजनीति में अपनी खोई हुई जमीन वापस प्राप्त कर सके, और भाजपा और आम आदमी पार्टी को चुनौती देने में सफल हो। इस बीच, 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीतियों की दिशा और उसकी सफलता को लेकर अभी कई सवालों के जवाब आने बाकी हैं।