महाराष्ट्र,17 दिसंबर। महाराष्ट्र की नयी महायुति सरकार में शामिल नहीं किए जाने से निराश राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने दावा किया है कि उन्हें आठ दिन पहले राज्यसभा की सदस्यता की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। नासिक जिले के येवला से विधायक भुजबल ने सोमवार को नागपुर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।
भुजबल ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा सीट का प्रस्ताव इसलिए अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह उनके विधानसभा क्षेत्र के साथ विश्वासघात होता, जहां से उन्होंने हाल ही में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा, “इस साल की शुरुआत में जब मैं राज्यसभा में जाना चाहता था, तो मुझसे कहा गया कि मुझे विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। अब आठ दिन पहले मुझे राज्यसभा सीट की पेशकश की गई, लेकिन मैंने कहा कि मैं फिलहाल इस पर विचार नहीं कर सकता।”
उन्होंने आगे बताया कि मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बाद उन्होंने राकांपा प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजित पवार से कोई चर्चा नहीं की है। ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के प्रमुख नेता भुजबल ने दावा किया कि उन्हें कैबिनेट से बाहर रखने का कारण उनका मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विरोध था। उन्होंने कहा, “जब मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग की जा रही थी, तब मैंने ओबीसी समुदाय के पक्ष में अपनी आवाज उठाई थी।”
भुजबल ने इस बात पर जोर दिया कि लाडकी बहिन योजना और ओबीसी समुदाय की भूमिका ने महायुति को चुनाव में जीत दिलाई। नागपुर में विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद जब उनसे उनके अगले कदम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “देखते हैं। जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना।”
पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भुजबल ने मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने पर अपनी निराशा जताते हुए कहा, “मैं एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे दरकिनार किया जाता है या पुरस्कृत किया जाता है। मंत्रिपद आते-जाते रहते हैं, लेकिन मुझे मिटाया नहीं जा सकता।”
देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में रविवार को भाजपा, शिवसेना, और राकांपा के कुल 39 विधायकों ने शपथ ली। इस विस्तार में 10 पूर्व मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया और 16 नए चेहरों को शामिल किया गया। मंत्रिमंडल में भुजबल और राकांपा के दिलीप वाल्से पाटिल, भाजपा के सुधीर मुनगंटीवार और विजयकुमार गावित जैसे कई वरिष्ठ नेताओं को जगह नहीं दी गई, जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।