नई दिल्ली,18 नवम्बर। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और खराब होती वायु गुणवत्ता ने इसे एक बार फिर “गैस चैंबर” में बदल दिया है। राजधानी में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने के बाद, दिल्ली सरकार ने इससे निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनाई है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस संबंध में केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखकर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NoC) जारी करने की मांग की है।
क्यों करनी पड़ सकती है कृत्रिम बारिश?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर इस समय खतरनाक स्थिति में है। स्टबल बर्निंग (पराली जलाना), वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्य और ठंड के कारण हवा में घुलते प्रदूषक तत्व हालात को और बिगाड़ रहे हैं।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ है।
आम लोगों के स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर पड़ रहा है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर।
प्राकृतिक बारिश न होने के कारण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कृत्रिम बारिश एकमात्र विकल्प माना जा रहा है।
कृत्रिम बारिश कैसे की जाती है?
कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है। इसमें बादलों में रसायनों, जैसे सिल्वर आयोडाइड या नमक के कण, का छिड़काव किया जाता है। यह प्रक्रिया बादलों में संघनन को बढ़ाती है, जिससे बारिश होती है।
यह तकनीक प्रदूषित हवा में मौजूद कणों को जमीन पर गिराने में मदद करती है।
इससे वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है।
गोपाल राय का बयान
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा:
“दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए कृत्रिम बारिश करना बेहद जरूरी है। इसके लिए हमने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस पर जल्द सकारात्मक कदम उठाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अन्य उपाय भी कर रही है, जैसे कि स्मॉग टावर, एंटी-स्मॉग गन और ग्रीन वॉर रूम। लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए कृत्रिम बारिश जैसे त्वरित समाधान की आवश्यकता है।
विपक्ष और विशेषज्ञों की राय
विपक्ष ने इस कदम को महज दिखावा करार दिया है। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार पराली जलाने और अन्य स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रही है।
वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम बारिश एक अस्थायी समाधान है। यह तभी कारगर होगा जब इसके साथ स्थायी उपाय किए जाएं, जैसे वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना और औद्योगिक प्रदूषण पर रोक लगाना।
क्या कृत्रिम बारिश से मिलेगी राहत?
विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बारिश से वायु गुणवत्ता में कुछ समय के लिए सुधार हो सकता है। हालांकि, यह केवल एक अस्थायी समाधान है।
यह प्रक्रिया महंगी है और बड़े पैमाने पर इसे लागू करना कठिन हो सकता है।
इसका प्रभाव भी सीमित होता है और दीर्घकालिक समाधान के लिए प्राकृतिक तरीकों पर जोर देना जरूरी है।
निष्कर्ष
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण ने एक बार फिर जनता और सरकार को मुश्किलों में डाल दिया है। कृत्रिम बारिश जैसे कदम तात्कालिक राहत दे सकते हैं, लेकिन स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालिक नीतियों और जनसहयोग की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय से ही दिल्ली को इस गंभीर संकट से बचाया जा सकता है।