मध्य प्रदेश ,8 नवम्बर। मध्य प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ विधायक ने राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य में गुमशुदा लोगों की जांच के मामलों में पुलिस अधीक्षक (SP) और पुलिस महानिरीक्षक (IG) की अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। विधायक का आरोप है कि ऐसे मामलों में अधिकारियों की अनुमति न मिलने से कई लोगों का पता लगाने में देरी हो रही है और पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
गुमशुदा मामलों में अनुमति की प्रक्रिया पर सवाल
पूर्व गृहमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में गुमशुदा लोगों के मामलों को हल करने के लिए पुलिस की अनुमति प्रक्रिया जटिल हो चुकी है। उनका कहना है कि जब भी किसी व्यक्ति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होती है, तो उसकी जांच में पुलिस के उच्च अधिकारियों की अनुमति जरूरी होती है। इसके कारण कई बार आवश्यक कदम उठाने में देरी हो जाती है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस तरह की प्रक्रियाएं सिर्फ मामले को जटिल बनाती हैं और पीड़ित परिवारों को मानसिक आघात पहुंचाती हैं।
पीड़ित परिवारों को हो रही मुश्किलें
पूर्व गृहमंत्री के अनुसार, कई गुमशुदा लोगों के परिजन शिकायत कर चुके हैं कि उन्हें पुलिस की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। उनके आरोप हैं कि अधिकारियों की अनुमति मिलने तक जांच में समय लग जाता है, जिससे मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। कई परिवारों का यह भी कहना है कि ऐसे मामलों में पुलिस की प्राथमिकता बहुत कम हो जाती है, जिससे न केवल पीड़ित परिवारों का मानसिक तनाव बढ़ता है, बल्कि उनकी उम्मीदें भी टूटती हैं।
राजनीतिक मुद्दा बनने की संभावना
विधायक द्वारा लगाए गए इन आरोपों ने मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और ऐसे में कानून-व्यवस्था का मुद्दा एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन सकता है। विपक्ष भी राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर हमले कर सकता है, और इन आरोपों से यह मुद्दा और गर्मा सकता है।
पुलिस प्रशासन पर प्रभाव
पूर्व गृहमंत्री के इन आरोपों का असर पुलिस प्रशासन पर भी पड़ सकता है। यदि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेती है, तो उच्च अधिकारियों से जवाब तलब किया जा सकता है और कार्यप्रणाली में बदलाव किए जा सकते हैं। वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य केवल जांच में पारदर्शिता और उच्च स्तरीय निगरानी सुनिश्चित करना है, ताकि किसी प्रकार की लापरवाही न हो।
विधायक का सुझाव
विधायक ने सुझाव दिया है कि गुमशुदा मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए एसपी और आईजी स्तर की अनुमति को खत्म करना चाहिए और स्थानीय पुलिस अधिकारियों को अधिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। इससे ऐसे मामलों में तेजी आएगी और पीड़ित परिवारों को भी राहत मिलेगी।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में गुमशुदा मामलों की जांच को लेकर पूर्व गृहमंत्री द्वारा लगाए गए आरोप एक गंभीर मुद्दा बन चुके हैं। उनकी मांग है कि पुलिस प्रशासन में सुधार किया जाए ताकि गुमशुदा लोगों का पता लगाने में तेजी आए और पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या कोई नई नीति लागू करती है ताकि गुमशुदा मामलों को जल्द से जल्द हल किया जा सके।