अंग्रेज चले गए और इन्हें छोड़ गए… : सीएम योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ बयान पर अखिलेश यादव का तंज

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लखनऊ,6 नवम्बर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाल ही में दिए गए बयान “बंटेंगे तो कटेंगे” पर सियासी माहौल गरमा गया है। सीएम योगी ने यह टिप्पणी प्रदेश में एकजुटता और विकास की जरूरत को रेखांकित करने के लिए की थी, लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर तीखा तंज कसते हुए कहा, “अंग्रेज तो चले गए, लेकिन इन्हें छोड़ गए।” अखिलेश यादव के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को बढ़ा दिया है, और इसे भारतीय राजनीति में बढ़ते ध्रुवीकरण के संदर्भ में देखा जा रहा है।

योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ बयान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने हालिया भाषण में “बंटेंगे तो कटेंगे” कहकर प्रदेश की जनता को एकजुटता का संदेश दिया था। उनके मुताबिक, यदि लोग समाज में बंटे रहेंगे, तो वे कमजोर हो जाएंगे, और विकास में बाधा आएगी। इस बयान का उद्देश्य समाज में एकता बनाए रखना और प्रदेश को विकास की दिशा में आगे बढ़ाना था। योगी ने इसे यूपी की तरक्की और समृद्धि के लिए जरूरी बताया।

अखिलेश यादव का जवाब
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अंग्रेज तो चले गए, लेकिन इन्हें छोड़ गए।” अखिलेश का तंज यह दर्शाता है कि वे इस बयान को विभाजनकारी राजनीति से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि ऐसी बयानबाजी से समाज में एकता के बजाय और अधिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी, ब्रिटिश काल की “बांटो और राज करो” नीति को आगे बढ़ा रही है, जिससे समाज में असमानता और कटुता बढ़ती है।

बढ़ता ध्रुवीकरण और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता
योगी और अखिलेश के इन बयानों ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में बढ़ते ध्रुवीकरण और गहरे राजनीतिक मतभेदों को उजागर किया है। जहां एक ओर भाजपा और उसके नेता समाज में एकता और विकास पर जोर देते हैं, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी का मानना है कि भाजपा की नीतियां समाज को बांटने का काम करती हैं। इस तरह के बयानों के जरिए दोनों दल अपने-अपने वोटबैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं।

जनता पर इसका प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के बयानों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। योगी आदित्यनाथ का संदेश जहां एकजुटता का प्रतीक है, वहीं अखिलेश यादव का तंज लोगों के बीच भाजपा की विभाजनकारी नीतियों पर सवाल उठाता है। जनता के बीच यह संदेश कितना प्रभावी साबित होता है, यह आगामी चुनावों में दिखेगा।

निष्कर्ष
योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच इस तरह की बयानबाजी से यह साफ है कि उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों से पहले माहौल और भी गरमाता जाएगा। “बंटेंगे तो कटेंगे” और “अंग्रेज तो चले गए, इन्हें छोड़ गए” जैसे तंज अब सियासी जंग का हिस्सा बन चुके हैं।

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