नई दिल्ली,4 नवम्बर। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नामांकन वापसी के आखिरी दिन भाजपा के बागी और पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने निर्दलीय चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। सोमवार सुबह बोरीवली सीट उन्होंने नामाकंन वापस ले लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा के जनरल सेक्रेटरी विनोद तावड़े से मीटिंग के बाद शेट्टी ने नामांकन वापसी का फैसला लिया है। शेट्टी ने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से भी चर्चा की थी।
दरअसल, भाजपा ने बोरीवली सीट से संजय उपाध्याय को टिकट दिया था, जिससे नाराज होकर 29 अक्टूबर को नामांकन के आखिरी दिन उन्होंने नॉमिनेशन किया था। उन्होंने कहा था कि मैंने यह फैसला टिकट की चाहत में नहीं, बल्कि स्थानीय कार्यकर्ताओं की चिंता को लेकर लिया है। कार्यकर्ताओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था।
नाम वापसी के आखिरी दिन महाविकास अघाड़ी और महायुति अपने-अपने बागी उम्मीदवारों को मनाने में जुटी है। शिवसेना और NCP में टूट के चलते इस बार 6 बड़े दल मैदान में हैं। यही कारण है कि बागी भी ज्यादा हैं। प्रदेश की लगभग हर सीट पर बागी हैं। इस बार 7,995 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है।
6 पार्टियां चुनाव मैदान में, लगभग हर सीट पर बागी शिवसेना और NCP में बगावत के चलते इस बार छह बड़े दल मैदान में हैं। इसी वजह से बागी भी ज्यादा हैं। प्रदेश की लगभग हर सीट पर बागी हैं। सबकी निगाह अब नाम वापसी की आखिरी तारीख, 4 नवंबर पर है। उसके बाद ही पता चलेगा कि लड़ाई कैसी होगी।
महायुति के बड़े बागी, जो निर्दलीय मैदान में…
बोरिवली- गोपाल शेट्टी दो बार भाजपा से सांसद रह चुके हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था इसलिए विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन भाजपा ने संजय उपाध्याय को टिकट दे दिया।
उमरेड- राजू पारवे शिंदे गुट की शिवसेना के नेता हैं। पार्टी ने रामटेक से लोकसभा चुनाव लड़ाया था, लेकिन हार गए। विधानसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के पास चली गई। भाजपा ने सुधीर पारवे को मैदान में उतारा है।
अंधेरी पूर्व- स्वीकृति शर्मा पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की पत्नी हैं। कुछ दिन पहले ही शिंदे गुट की शिवसेना ज्वाइन की थी। पार्टी ने इस सीट से मुरजी पटेल को उम्मीदवार बनाया तो निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं।
चिंचवड- नाना काटे अजित गुट की NCP के नेता हैं। सीट भाजपा के पाले में चली गई। भाजपा ने शंकर जगताप को उतारा है।
इस सीट पर मामला बड़ा दिलचस्प है। नॉमिनेशन भरने की समय सीमा खत्म होने से कुछ मिनट पहले ही अजित गुट की NCP ने नवाब मलिक को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। मलिक पहले से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, मगर भाजपा विरोध कर रही थी।
भाजपा ने मलिक को दाऊद इब्राहिम का करीबी बताते हुए देशद्रोह सहित कई आरोप लगाए थे। इसी वजह से मलिक को टिकट नहीं मिल पा रहा था। हालांकि, 29 अक्टूबर को नवाब मलिक ने दो पर्चे दाखिल किए।