नई दिल्ली,1 नवम्बर। डिजिटल युग में साइबर क्राइम के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। “डिजिटल अरेस्ट स्कैम” उन जालसाजी के तरीकों में से एक है, जिसके जरिए साइबर क्रिमिनल्स हर दिन औसतन 6 करोड़ रुपये की ठगी कर रहे हैं। इस स्कैम में जालसाज लोगों को फंसाने के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हैं और उन्हें डरा-धमकाकर या धोखे से उनके बैंक खातों तक पहुंच बनाते हैं।
कैसे होता है “डिजिटल अरेस्ट स्कैम”?
इस स्कैम में साइबर क्रिमिनल्स पहले पीड़ित के मोबाइल या ईमेल पर संपर्क करते हैं और स्वयं को पुलिस, सरकारी अधिकारी या अन्य किसी सरकारी संस्था का प्रतिनिधि बताकर लोगों को डराने की कोशिश करते हैं। वे पीड़ित को बताते हैं कि उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जा रही है, और यदि वे तुरंत एक निश्चित राशि नहीं चुकाते, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसमें कई बार क्रिमिनल्स नकली अरेस्ट वारंट या फर्जी दस्तावेज भी प्रस्तुत करते हैं ताकि पीड़ित को लगे कि यह सब सच है।
ठगी के तरीके
फर्जी कॉल्स और मैसेजेस: ठग, पुलिस अधिकारी या सरकारी कर्मचारी बनकर कॉल करते हैं और पीड़ितों को डराते हैं। कॉल में नकली गिरफ्तारी या गिरफ्तारी का वारंट जारी होने का दावा किया जाता है।
लिंक क्लिक कराकर जानकारी प्राप्त करना: स्कैमर्स कई बार नकली मैसेज भेजते हैं जिनमें एक लिंक होता है। इस लिंक पर क्लिक करते ही पीड़ित की निजी जानकारी, बैंक अकाउंट डिटेल्स और ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी उनके पास पहुंच जाती है।
डिजिटल ट्रांजेक्शन का दुरुपयोग: लोगों को फंसाकर उनके बैंक खातों से धनराशि निकाल लेते हैं या उनसे ऑनलाइन पेमेंट करवाने का दबाव बनाते हैं।
क्यों पड़ते हैं लोग इन स्कैम में?
डर का माहौल: अपराधियों द्वारा गिरफ्तारी का डर दिखाया जाता है, जिससे पीड़ित जल्दी से जल्दी अपनी रकम बचाने के प्रयास में ठगी का शिकार हो जाते हैं।
अज्ञानता: अधिकतर लोग साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं होते हैं और ऐसे कॉल्स पर विश्वास कर बैठते हैं।
संवेदनशीलता का लाभ: ठग यह जानते हैं कि लोग कानूनी मामलों में फंसने से डरते हैं, इसलिए वे इस डर का फायदा उठाकर उन्हें फंसा लेते हैं।
सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों की पहल
सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियां इस तरह के साइबर अपराधों को रोकने के लिए लगातार अभियान चला रही हैं। लोगों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए कई सरकारी प्रोग्राम्स और अभियानों का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा, डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स भी अपने उपयोगकर्ताओं को साइबर ठगी से बचाने के उपाय बता रहे हैं।
कैसे बचें इस स्कैम से?
अनजान नंबर से कॉल्स और मैसेजेस से सतर्क रहें: अगर कोई व्यक्ति आपसे अचानक पैसे की मांग करे या आपके खिलाफ कार्रवाई की धमकी दे, तो उसकी जानकारी जरूर जांचें।
कोई भी लिंक क्लिक न करें: किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें और अपनी बैंकिंग जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
साइबर हेल्पलाइन का उपयोग करें: यदि आपको किसी भी प्रकार के साइबर स्कैम का शक हो तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन पर संपर्क करें।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम जैसे मामलों में सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। लोगों को चाहिए कि वे सतर्क रहें और अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रखें, ताकि ऐसे साइबर अपराधों से बच सकें।