वाशिंगटन,30 अक्टूबर। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर 2024 को होने वाले हैं, जिसमें देश के अगले राष्ट्रपति का चयन होगा। इस बार की चुनावी दौड़ मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन, जो डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार हैं, और रिपब्लिकन पार्टी से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हो सकती है। इस चुनाव का विजेता व्हाइट हाउस से अमेरिका का नेतृत्व करेगा, जो कि केवल अमेरिकी नागरिकों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होगा। इस लेख में हम समझेंगे कि अमेरिकी चुनाव प्रणाली कैसे काम करती है और यह कैसे दुनिया की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में से एक बन गई है।
अमेरिका की चुनाव प्रणाली: एक नजर
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव एक अद्वितीय प्रक्रिया के तहत होते हैं, जिसे इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली के नाम से जाना जाता है। यह प्रणाली अमेरिका के सभी 50 राज्यों में समान रूप से लागू होती है और राष्ट्रपति के चयन के लिए प्रमुख भूमिका निभाती है। इस प्रणाली के अंतर्गत नागरिक अपने राज्य के इलेक्टर्स (निर्वाचकों) को वोट देते हैं, जो बाद में राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
इलेक्टोरल कॉलेज क्या है?
अमेरिका में सीधे तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता, बल्कि लोग अपने राज्य के निर्वाचकों (Electors) को वोट देते हैं। इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 538 निर्वाचक होते हैं। इनमें से जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 270 या उससे अधिक इलेक्टोरल वोट हासिल करने होते हैं।
इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य हर राज्य की जनसंख्या के अनुसार चुने जाते हैं। जैसे कि कैलिफ़ोर्निया, न्यूयॉर्क जैसे बड़े राज्यों के पास ज्यादा इलेक्टोरल वोट होते हैं, जबकि अलास्का, हवाई जैसे छोटे राज्यों के पास कम इलेक्टोरल वोट होते हैं। इसी तरह, डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स के बीच मुकाबला हर राज्य में होता है, क्योंकि जो उम्मीदवार किसी राज्य में जीतता है, वह वहां के सभी इलेक्टोरल वोट हासिल करता है।
प्रमुख चुनावी राज्य (स्विंग स्टेट्स)
अमेरिकी चुनाव में कई राज्य ऐसे होते हैं जो “स्विंग स्टेट्स” या “बैटलग्राउंड स्टेट्स” कहलाते हैं। इन राज्यों का झुकाव किसी एक पार्टी की ओर निश्चित नहीं होता और हर चुनाव में वहां नतीजे बदल सकते हैं। ऐसे राज्य फ्लोरिडा, ओहायो, पेंसिल्वेनिया, और मिशिगन हैं, जो चुनावी परिणामों में अहम भूमिका निभाते हैं। यह राज्य ही तय करते हैं कि चुनाव का परिणाम किसके पक्ष में जाएगा, और इसी वजह से उम्मीदवार यहां अपना पूरा ध्यान केंद्रित करते हैं।
चुनाव की प्रमुख प्रक्रियाएं
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव कई चरणों में होता है, जिसमें निम्नलिखित मुख्य चरण शामिल हैं:
प्राइमरी और कॉकस: राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा से पहले हर पार्टी अपने-अपने उम्मीदवार का चयन करती है। इसके लिए पार्टी के सदस्यों द्वारा प्राइमरी चुनाव और कॉकस आयोजित किए जाते हैं। इसके बाद उम्मीदवार का चयन किया जाता है।
नेशनल कन्वेंशन: प्राइमरी और कॉकस के परिणामों के आधार पर प्रत्येक पार्टी अपने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का नामांकन करती है। यह प्रक्रिया नेशनल कन्वेंशन में होती है, जो आमतौर पर चुनाव वर्ष के मध्य में आयोजित होता है।
जनरल इलेक्शन: नवंबर महीने के पहले मंगलवार को पूरे अमेरिका में जनरल इलेक्शन होता है, जिसमें नागरिक अपने-अपने राज्यों में इलेक्टर्स को वोट देते हैं।
इलेक्टोरल वोटिंग: इलेक्टोरल वोटिंग दिसंबर में होती है, जहां हर राज्य के निर्वाचक अपने राज्य की जनता द्वारा चुने गए उम्मीदवार को वोट देते हैं। 270 इलेक्टोरल वोट पाने वाला उम्मीदवार राष्ट्रपति चुन लिया जाता है।
इलेक्टोरल वोट की पुष्टि: जनवरी में, अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में सभी इलेक्टोरल वोट की गणना और पुष्टि होती है। इसके बाद जनवरी 20 को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होता है।
इस चुनाव में प्रमुख मुद्दे
2024 का चुनाव कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित होगा। जैसे:
आर्थिक नीति: मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, और टैक्स नीति बड़े मुद्दे हैं।
विदेश नीति: रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन के साथ संबंध, और वैश्विक सुरक्षा।
स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और पर्यावरण संरक्षण।
निष्कर्ष
अमेरिकी चुनाव प्रणाली अपनी अनूठी इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली के कारण विश्व में सबसे अलग मानी जाती है। 2024 का यह चुनाव कई कारणों से महत्वपूर्ण है और इसके परिणाम वैश्विक स्तर पर असर डाल सकते हैं।