कनाडा ,30 अक्टूबर। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का हाल ही में एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें भारत को बदनाम करने के लिए कथित ‘संवेदनशील’ दस्तावेजों को लीक किए जाने की बात कबूल की गई है। इस खुलासे के बाद ट्रूडो की सरकार को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी गहरा असर पड़ा है। यह मामला तब सामने आया, जब ट्रूडो ने भारत के खिलाफ सिख अलगाववादी गतिविधियों के समर्थन में कुछ संदिग्ध जानकारियों को सार्वजनिक किया, जिनका उद्देश्य भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाना था।
कबूलनामे का कारण और ट्रूडो की मुश्किलें
जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में यह स्वीकार किया कि भारत के खिलाफ ‘संवेदनशील’ दस्तावेज लीक किए गए, जो उनकी सरकार के लिए एक बड़ी फजीहत का कारण बन गए हैं। यह मामला खासकर भारत-कनाडा के पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और अधिक बिगाड़ने वाला साबित हुआ है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रूडो ने भारत के खिलाफ सिख अलगाववादियों को समर्थन देकर भारत के साथ अपने संबंधों को बिगाड़ने की कोशिश की है, और यह कबूलनामा इस बात का प्रमाण बन गया है।
भारत-कनाडा संबंधों पर असर
भारत और कनाडा के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति में हैं, खासकर जब से कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों ने भारत के खिलाफ कई प्रदर्शन और गतिविधियां की हैं। ट्रूडो का यह कबूलनामा भारत के लिए एक ठोस सबूत है कि कनाडा में कुछ ऐसे तत्व हैं जो भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत ने कनाडा को बार-बार यह स्पष्ट किया है कि वह अपनी सुरक्षा और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा और आतंकवाद के किसी भी रूप का समर्थन अस्वीकार्य है।
ट्रूडो की अंतरराष्ट्रीय छवि पर प्रभाव
ट्रूडो का यह कदम उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि को भी प्रभावित कर सकता है। अमेरिका, ब्रिटेन, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी कनाडा की इस नीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। खासकर जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रूडो और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की ठंडे संबंध और इस मुद्दे पर बढ़ते विवाद ने यह दर्शाया कि ट्रूडो के लिए अब अपनी स्थिति का बचाव करना मुश्किल होता जा रहा है।
कनाडा की घरेलू राजनीति पर असर
यह विवाद न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बल्कि कनाडा के अंदर भी ट्रूडो की सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी इस मुद्दे को उनके खिलाफ भुना रहे हैं, और ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट आ रही है। कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के नागरिक भी इस मुद्दे को लेकर आक्रोशित हैं, और वे ट्रूडो की सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। ट्रूडो का यह कबूलनामा उन्हें घरेलू राजनीति में भी कमजोर बना सकता है।
भविष्य की संभावना
इस विवाद के चलते भारत और कनाडा के संबंधों में निकट भविष्य में सुधार की संभावना कम ही नजर आती है। अगर ट्रूडो की सरकार इस मुद्दे पर भारत के प्रति नरम रुख अपनाती है और अपने कार्यों पर पुनर्विचार करती है, तो दोनों देशों के बीच किसी सकारात्मक संवाद की उम्मीद की जा सकती है। अन्यथा, भारत-कनाडा संबंधों में यह एक लंबे समय तक बना रहने वाला विवाद हो सकता है।
निष्कर्ष
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत के खिलाफ ‘संवेदनशील’ दस्तावेजों का लीक करने का कबूलनामा उनकी सरकार के लिए एक बड़ी फजीहत का कारण बन गया है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी छवि को कमजोर कर सकता है और भारत के साथ संबंधों को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है। ट्रूडो के लिए यह समय है कि वे अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करें और कनाडा के भीतर और बाहर अपने संबंधों को फिर से मजबूत करने की दिशा में कदम उठाएं।