नई दिल्ली,28 अक्टूबर। अफगानिस्तान में तालिबान की तेजी से बढ़ती ताकत ने वहां के निवासियों में भय और अनिश्चितता का माहौल बना दिया था। जब तालिबान ने एक-एक करके देश के सभी जिलों पर कब्जा जमाना शुरू किया, तो धीरे-धीरे अफगान नागरिकों को यह समझ आने लगा कि उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदलने वाली है। इस संकट की स्थिति में हर अफगानी नागरिक का अपना संघर्ष और कहानी है।
काबुल के एक परिवार के सदस्य बताते हैं कि किस तरह से तालिबान का काबुल पर कब्जा हुआ। “हमारा परिवार काबुल से है। जब तालिबान के लड़ाके शहर में दाखिल हुए, तो सेना और पुलिस पहले ही भाग चुकी थी। शहर का हर कोना खामोश था, मानो सबने बिना किसी संघर्ष के हार मान ली हो। हम खौफ के साए में जी रहे थे, काबुल की सड़कों पर फैले सन्नाटे को देख हम समझ चुके थे कि अब हम एक अजीबोगरीब स्थिति में हैं।”
तालिबान का भय और जीवन में बदलाव
तालिबान के काबुल में प्रवेश करते ही जैसे हर परिवार में एक अनचाहा बदलाव आ गया। बाजारों में लोग कम होते चले गए, सड़कों पर चलना भी अब सुरक्षित नहीं रहा। महिलाओं और बच्चियों के लिए घर से बाहर निकलना भी एक बड़ा जोखिम बन गया। इस परिवार की एक महिला सदस्य बताती हैं, “तालिबान के आने के बाद हमने खुद को घर की चारदीवारी में कैद कर लिया। हमने खुद को अपने घर में भी महफूज महसूस नहीं किया क्योंकि किसी भी वक्त कोई आ सकता था और हम पर सवाल उठा सकता था। हमारे पहनावे, हमारी बोलचाल और हमारे हक सब बदलने लगे।”
सपनों का टूटना और अनिश्चित भविष्य
काबुल के निवासी भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं। एक युवक का कहना है, “हमने हमेशा एक शांतिपूर्ण और आजाद अफगानिस्तान का सपना देखा था। लेकिन तालिबान के आने के बाद हमारे सपने बिखर गए। हर चीज पर पाबंदी लगा दी गई। हमारे दोस्तों और परिवार के लोग जो पढ़ाई और करियर के बारे में सोचते थे, अब उनका मनोबल टूट चुका है।”
बचने की उम्मीद और संघर्ष
इस कठिनाई में कुछ लोगों के लिए बाहर निकलने की एक ही उम्मीद बची थी – देश छोड़कर किसी अन्य जगह शरण लेना। “हमारे परिवार ने अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिश की, लेकिन सभी के लिए यह मुमकिन नहीं था। जो काबुल छोड़ चुके थे, वे किस्मत वाले थे। लेकिन अब हम और लाखों अफगानी सिर्फ उम्मीद के सहारे जी रहे हैं कि शायद कभी हमारा जीवन फिर से सामान्य हो सके।”
काबुल के लोगों का साहस
काबुल में रह रहे लोगों ने अपने कठिन समय का साहस से सामना किया है। कई लोग अब भी हर दिन इस संघर्ष के साथ जी रहे हैं कि एक न एक दिन वे अपनी जमीं, अपनी पहचान और अपनी आजादी वापस पा सकेंगे।