नई दिल्ली,25 अक्टूबर। भारत ने आगामी वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप से अपना नाम वापस लेने का फैसला किया है। भारतीय रेसलिंग फेडरेशन (WFI) ने यह कदम उठाने का कारण सरकारी हस्तक्षेप बताया है, जो उसकी स्वायत्तता में दखल डाल रहा है। इस फैसले से भारतीय कुश्ती प्रेमियों में निराशा की लहर है, क्योंकि यह चैंपियनशिप न केवल अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका था, बल्कि खिलाड़ियों के करियर में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता।
WFI और सरकारी हस्तक्षेप का विवाद
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) लंबे समय से अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने की मांग करता रहा है। उनका कहना है कि सरकार का लगातार हस्तक्षेप उनके संगठन की गतिविधियों और निर्णयों में बाधा डाल रहा है। फेडरेशन का आरोप है कि कुछ फैसले, जो फेडरेशन को स्वायत्त रूप से लेने चाहिए थे, उनमें सरकारी अधिकारियों का दखल बढ़ता जा रहा है। यह न केवल प्रशासनिक स्वतंत्रता को बाधित कर रहा है, बल्कि खिलाड़ियों की तैयारियों और कार्यक्रमों पर भी असर डाल रहा है।
खिलाड़ियों पर प्रभाव
इस फैसले का सबसे गहरा प्रभाव भारतीय कुश्ती खिलाड़ियों पर पड़ेगा, जो इस प्रतियोगिता में अपने कौशल का प्रदर्शन करना चाहते थे। वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है और इसके माध्यम से वे ओलंपिक क्वालीफाइंग अंकों के लिए भी प्रतिस्पर्धा कर सकते थे। इस नाम वापसी से उनके करियर में संभावित नुकसान हो सकता है, क्योंकि अगले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के मौके भी सीमित हो जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर असर
भारत का अचानक वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप से नाम वापस लेने का निर्णय अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय में भी चर्चा का विषय बन गया है। इस फैसले से न केवल खिलाड़ियों और प्रशंसकों की भावना पर असर पड़ा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को भी नुकसान हुआ है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कुश्ती में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, और इस खेल में भारतीय खिलाड़ियों ने कई पदक जीते हैं।
WFI का कदम और आगे की राह
WFI ने साफ किया है कि वे भविष्य में अपनी स्वायत्तता बनाए रखने के लिए कोई भी जरूरी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। फेडरेशन के अध्यक्ष ने इस मामले पर सरकार से पुनर्विचार करने की अपील की है, ताकि खिलाड़ियों को उनकी मेहनत और अभ्यास का सही फल मिल सके। इसके साथ ही, WFI ने संकेत दिया है कि वे उच्चस्तरीय बैठकें आयोजित कर इस मुद्दे का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
निष्कर्ष
भारत का वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप से नाम वापस लेना न केवल भारतीय कुश्ती के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय में भी इसकी व्यापक प्रतिक्रिया हो रही है। WFI और सरकार के बीच संवाद और सहमति का रास्ता निकालना आवश्यक हो गया है ताकि खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित रहे और भारत की कुश्ती की प्रतिष्ठा बरकरार रहे।