नई दिल्ली,25 अक्टूबर। 4 दिन पहले हुए नए पेट्रोलिंग समझौते के बाद शुक्रवार को भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग पॉइंट में सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटाना शुरू कर दिए हैं। सैनिक गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जा रहे हैं।
इस प्रोसेस के पूरा होने के बाद डेमचोक और देपसांग में दोनों सेनाएं पेट्रोलिंग कर सकेंगी। यह पेट्रोलिंग 10 दिन बाद शुरू हो सकती है। इसकी 2 शर्तें हैं।
- पहली- दोनों देशों की सेनाएं इन इलाकों में अलग-अलग दिन पेट्रोलिंग करेंगी।
- दूसरी- दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे को पहले से इसकी सूचना देनी होगी।
2020 में भारत-चीन के बीच गलवान में टकराव के बाद डेमचोक और देपसांग में तनाव के हालात बने हुए थे। भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर को नया पेट्रोलिंग समझौता हुआ था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि गलवान जैसी झड़प ना हो और वहां पहले जैसे हालात बनाने के लिए समझौता किया गया है।
सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने के बाद करीब 10 दिन के भीतर पेट्रोलिंग शुरू हो सकती है। पूरी जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
देपसांग: भारतीय सेना के मुताबिक, सैनिक अब गश्त के लिए देपसांग में पेट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 11-A, 12 और 13 तक जा सकेंगे।
डेमचोक: पेट्रोलिंग पॉइंट-14 यानी गलवान घाटी, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स यानी PP-15 और PP-17 बफर जोन हैं। रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यहां पर गश्त को लेकर बाद में विचार होगा। बफर जोन यानी ऐसा इलाका जहां दोनों सेनाएं एक-दूसरे के आमने-सामने नहीं आ सकतीं। ये जोन विपक्षी सेनाओं को अलग करते हैं।
15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं।
भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं।
इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे।