नई दिल्ली,24 अक्टूबर। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज 24 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक तीन दिवसीय भारत दौरे पर रहेंगे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत और जर्मनी के बीच रक्षा, व्यापार, और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है। चांसलर स्कोल्ज का यह दौरा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत-जर्मनी संबंधों पर फोकस
जर्मन चांसलर का यह दौरा भारत-जर्मनी के ऐतिहासिक और मजबूत संबंधों को और गहरा करने का अवसर प्रदान करेगा। दोनों देशों के बीच रक्षा और व्यापारिक सहयोग में पहले से ही कई पहलें चल रही हैं, लेकिन इस बार बातचीत का केंद्र रक्षा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना और नई तकनीकों के आदान-प्रदान पर होगा।
रक्षा सहयोग और रणनीतिक साझेदारी
भारत और जर्मनी के बीच रक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण विषय होगा। उम्मीद की जा रही है कि इस दौरे के दौरान दोनों देश कई अहम रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इसमें हथियारों के उत्पादन, तकनीकी सहयोग, और सुरक्षा उपकरणों के आदान-प्रदान के साथ-साथ साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष तकनीक में भी सहयोग बढ़ाने की चर्चा हो सकती है।
जर्मनी भारत के रक्षा निर्माण कार्यक्रमों में अपनी तकनीकी विशेषज्ञता को साझा कर सकता है, जो भारत की आत्मनिर्भर भारत (मेक इन इंडिया) पहल को और गति देगा। साथ ही, दोनों देशों के बीच बढ़ती वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में भी विचार-विमर्श होगा।
व्यापार और निवेश पर जोर
रक्षा के अलावा, व्यापारिक संबंध भी चांसलर स्कोल्ज़ के इस दौरे का एक प्रमुख हिस्सा होंगे। भारत और जर्मनी के बीच व्यापारिक आदान-प्रदान में निरंतर वृद्धि देखी गई है, और दोनों देशों की सरकारें इसे और बढ़ावा देने के लिए नई व्यापार नीतियों और निवेश योजनाओं पर चर्चा कर सकती हैं। जर्मनी भारत में निवेश करने वाले यूरोप के प्रमुख देशों में से एक है, और यह दौरा द्विपक्षीय व्यापार को और गति देने का काम कर सकता है।
जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा
जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा के मुद्दे भी इस दौरे का एक प्रमुख हिस्सा होंगे। भारत और जर्मनी दोनों ही नवीकरणीय ऊर्जा और स्थिरता को लेकर गंभीर हैं, और इस दिशा में सहयोग के कई रास्ते तलाशे जाएंगे। खासतौर पर, हरित हाइड्रोजन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, और पवन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच साझेदारी की संभावना है। जर्मनी ने पहले भी भारत की स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में बड़ा निवेश किया है, और इस दौरे के दौरान इन परियोजनाओं को और बढ़ावा मिल सकता है।
वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा
चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के इस दौरे में दोनों देशों के बीच वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बातचीत होगी। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत और जर्मनी के बीच सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, G20, और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की दिशा में काम करने की रणनीति भी शामिल हो सकती है। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए भी आपसी सहयोग पर जोर दिया जा सकता है।
समापन
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज का यह दौरा भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस दौरे के जरिए रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, और रणनीतिक साझेदारी जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के संबंधों में एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है। यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत-जर्मनी के मजबूत सहयोग को रेखांकित करेगा।