नई दिल्ली,19 अक्टूबर। समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर खींचतान खुलकर सामने आ गई है। उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों के लिए समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से बिना चर्चा किए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, जिससे दोनों दलों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। वहीं, दूसरी तरफ, सपा चाहती है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस बिना उससे पूछे सीटों का फैसला न करे, जिससे इन दोनों पार्टियों के गठबंधन में दरार और स्पष्ट हो रही है।
यूपी उपचुनावों में सपा का एकतरफा फैसला
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने उपचुनावों के लिए बिना कांग्रेस से सलाह-मशविरा किए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जिससे कांग्रेस के नेता नाराज हैं। यूपी में सपा और कांग्रेस, दोनों विपक्षी दलों ने गठबंधन की उम्मीदों को संजीवनी देने की कोशिश की थी, खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर। लेकिन सपा का यह कदम गठबंधन की संभावनाओं को झटका देने जैसा माना जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि अगर सपा को यूपी में अपने दम पर निर्णय लेने हैं, तो वह भी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ सकती है।
महाराष्ट्र में सपा की अपेक्षाएं
वहीं दूसरी ओर, महाराष्ट्र में सपा चाहती है कि कांग्रेस अपने सहयोगी दलों से चर्चा करके सीटों का बंटवारा करे। सपा का दावा है कि महाराष्ट्र में वह कुछ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, और इसके लिए कांग्रेस को उससे राय-मशविरा करना चाहिए। यह स्थिति असमंजस पैदा कर रही है, क्योंकि सपा खुद यूपी में कांग्रेस से बिना पूछे उम्मीदवार घोषित कर रही है, जबकि महाराष्ट्र में वह चाहती है कि कांग्रेस उससे पहले विचार-विमर्श करे। इस दोहरी रणनीति को लेकर कांग्रेस के कई नेताओं ने आलोचना की है।
गठबंधन पर सवाल
यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति में गठबंधन की जटिलताओं को उजागर करता है। राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता की बातें की जा रही हैं, लेकिन राज्य स्तर पर दलों के बीच असहमति और विरोधाभास गठबंधन को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। खासकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में जहां विपक्षी दलों की एकता का बहुत महत्व है, इस तरह के कदम राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन को कमजोर कर सकते हैं।
कांग्रेस और सपा के रिश्ते
कांग्रेस और सपा के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने गठबंधन किया था, लेकिन वह प्रयोग असफल रहा था। इसके बाद से दोनों पार्टियों के बीच सहयोग सीमित रहा है। अब जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, विपक्षी एकता की आवश्यकता और बढ़ गई है। हालांकि, इन घटनाओं से यह सवाल उठने लगा है कि क्या सपा और कांग्रेस अपने मतभेदों को सुलझाकर एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बना पाएंगे?
निष्कर्ष
समाजवादी पार्टी द्वारा यूपी उपचुनावों में बिना कांग्रेस से चर्चा किए उम्मीदवारों का चयन और महाराष्ट्र में कांग्रेस से सीटों पर सलाह की अपेक्षा, दोनों दलों के बीच विरोधाभास को उजागर करते हैं। विपक्षी गठबंधन को सफल बनाने के लिए पारस्परिक सहयोग और संवाद आवश्यक है, लेकिन मौजूदा हालात में यह साफ है कि विपक्षी एकता के रास्ते में कई चुनौतियाँ हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा और कांग्रेस अपने संबंधों को कैसे सुलझाते हैं और क्या वे आगामी चुनावों में एक मजबूत गठबंधन बना सकते हैं या नहीं।