आईएएस संजीव हंस: नीतीश कुमार के करीबी और गुलाब यादव के बिजनेस पार्टनर, ईडी ने ढूंढा 95 करोड़ का रिसॉर्ट और 10 करोड़ का फ्लैट

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बिहार,19 अक्टूबर। बिहार की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में आईएएस अधिकारी संजीव हंस का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है। हंस, जिन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माना जाता है, अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के घेरे में आ गए हैं। हाल ही में ईडी ने एक बड़ी कार्रवाई के तहत संजीव हंस और उनके बिजनेस पार्टनर गुलाब यादव से जुड़े संपत्तियों का खुलासा किया है, जिसमें 95 करोड़ रुपये का रिसॉर्ट और 10 करोड़ रुपये का फ्लैट शामिल हैं।

नीतीश कुमार के करीबी और महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां
संजीव हंस की नीतीश कुमार के साथ करीबी रिश्ते हमेशा से चर्चा का विषय रहे हैं। बिहार की नौकरशाही में हंस ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिससे उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभावशाली स्थिति बनी रही है। नीतीश कुमार की सरकार में उन्हें विभिन्न अहम परियोजनाओं और विभागों का जिम्मा सौंपा गया है, जिससे उनका कद लगातार बढ़ा है।

गुलाब यादव के साथ बिजनेस पार्टनरशिप
ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि संजीव हंस गुलाब यादव के साथ बिजनेस पार्टनर हैं। गुलाब यादव, जो एक प्रमुख व्यवसायी हैं, के साथ मिलकर हंस ने कई प्रोजेक्ट्स में निवेश किया हुआ है। दोनों के नाम से चलने वाले बिजनेस में कई करोड़ों की संपत्तियों का खुलासा हुआ है। गुलाब यादव का नाम पहले भी विभिन्न आर्थिक अनियमितताओं से जुड़ा रहा है, और अब हंस के साथ उनके साझेदारी ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया है।

ईडी की जांच और संपत्तियों का खुलासा
ईडी की टीम ने अपनी जांच के दौरान कई बेनामी संपत्तियों का पता लगाया है, जो संजीव हंस और गुलाब यादव के नाम पर हैं। इनमें एक 95 करोड़ रुपये का शानदार रिसॉर्ट शामिल है, जो संभवतः अवैध तरीके से अर्जित धन से खरीदा गया है। इसके अलावा, पटना में स्थित एक 10 करोड़ रुपये का फ्लैट भी जांच के दायरे में आया है। इन संपत्तियों के बारे में विस्तार से जानकारी जुटाई जा रही है, और यह देखा जा रहा है कि क्या ये संपत्तियां अवैध धन के इस्तेमाल से खरीदी गई हैं।

भ्रष्टाचार और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर सवाल
इस मामले के उजागर होने के बाद बिहार की नौकरशाही और सरकार की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। संजीव हंस, जो एक उच्च प्रशासनिक अधिकारी हैं, पर इस तरह के गंभीर आरोपों का लगना न केवल उनकी प्रतिष्ठा पर धक्का है, बल्कि यह बिहार सरकार के प्रशासनिक ढांचे की साख पर भी सवाल खड़े करता है।

ईडी की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि सरकार के उच्च अधिकारियों की गतिविधियों पर अब गंभीरता से निगरानी की जा रही है। संजीव हंस के खिलाफ जांच से बिहार की राजनीति में भी हलचल मची हुई है, क्योंकि नीतीश कुमार के करीबी होने के कारण इस मामले को राजनीतिक रूप से भी देखा जा रहा है।

निष्कर्ष
संजीव हंस और गुलाब यादव से जुड़ा यह मामला बिहार की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र में एक बड़े घोटाले के संकेत दे रहा है। ईडी की जांच से सामने आए 95 करोड़ के रिसॉर्ट और 10 करोड़ के फ्लैट ने इन दोनों की संपत्ति और व्यवसायिक गतिविधियों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। आने वाले समय में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं, जिससे बिहार की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में उथल-पुथल मच सकती है।

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